नयी दिल्ली.... उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पूरे देश के राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और उनकी सीमाओं के एक किलोमीटर के दायरे में किसी प्रकार की खनन गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया है।
शीर्ष अदालत ने 26 अप्रैल, 2023 के अपने पहले के आदेश को दोहराते हुए कहा कि हालांकि गोवा फाउंडेशन मामले में प्रतिबंध शुरू में गोवा के लिए लगाया गया था लेकिन वन्यजीवों एवं पारिस्थितिक संतुलन की रक्षा के लिए इसे अखिल भारतीय स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने लंबे समय से चल रहे टीएन गोदावर्मन थिरुमलपाद मामले की सुनवाई करते हुए कहा, "संरक्षित क्षेत्रों की सीमा के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियां वन्यजीवों के लिए ख़तरनाक होंगी। हालांकि गोवा फ़ाउंडेशन के मामले में उक्त निर्देश गोवा राज्य के लिए दिये गए थे लेकिन हमारा मानना है कि ऐसे निर्देश अखिल भारतीय स्तर पर जारी होने चाहिए।"
तदनुसार, न्यायालय ने दोहराया कि "राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्य में तथा ऐसे राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं होगी।"
पीठ ने झारखंड को सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने और वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जनजातियों एवं वनवासियों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि क्षेत्र में स्कूल, रेल लाइनें और औषधालय संरक्षित रहेंगे लेकिन किसी भी खनन कार्य की अनुमति नहीं दी जाएगी।