नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के शिक्षक वर्ग का आह्वान किया है कि वे अपने विद्यार्थियों को शिक्षण-प्रशिक्षण, संस्कार-सुधार करके उनको इस तरह समर्थवान बनाएं ताकि वह आने वाले समय में विकसित भारत को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने में समर्थवान हों। श्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य सबकी जिम्मेदारी है जिसमें शिक्षकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्कूलों की तुलना शिक्षक की प्रयोगशाला और बच्चों की तुलना कच्चे माल से की। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शिक्षण पुरास्कार से सम्मानित देश भर के शिक्षकों से शनिवार को संवाद कर रहे थे। यह कार्यक्रम विडियो कांफ्रेंसिंग और साक्षात, मिले जुले तरीके से आयोजित किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जिसको (जिन विद्यार्थियों को) आज आप तैयार कर रहे हैं, वो उस विकसित भारत को नई ऊंचाईयों पर ले जाने वाला एक सामर्थ्यवान व्यक्तित्व बनने वाला है। यानि आपके पास कितनी बड़ी जिम्मेदारी है, ये विकसित भारत, ये कोई सिर्फ मोदी का कार्यक्रम नहीं है। श्री मोदी ने कक्षाओं की तुलना मानव संसाधन विकास की प्रयोग शाला और विद्यार्थीयों की तुलना कच्चे माल की और कहा, ‘‘आप वो लोग हैं आपके मन में जो सपना आए, उस सपने को साकार करने के लिए वो लैबोरेटरी (प्रयोगशाला) आपके सामने ही है, कच्चा माल आपके सामने ही है, वो बच्चे आपके सामने ही हैं। आप अपने सपनों को लेकर के उस प्रयोगशाला में प्रयास करेंगे, आप जो चाहें वो परिणाम लेकर के आएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग अपने बच्चों को बड़े विश्वास के साथ स्कूल को सुपुर्द करते हैं। वे न केवल अपने बच्चे का परीक्षा परिणाम अच्छा देखना चाहते हैं बल्कि मां-बाप को लगता है कि शिक्षक उन्हें बच्चों का उससे भी कुछ अच्छा विकास करेंगे, उसके संस्कार और उसकी आदतों में सुधार लाएंगे। श्री मोदी ने कहा, “बच्चों की जिंदगी में शिक्षा में प्लस वन (कुछ अतिरिक्त) कौन करेगा? टीचर करेगा।संस्कार में प्लस वन कौन करेगा? टीचर करेगा। उन्होंने कहा, “.. और इसलिए प्लस वन का सिद्धांत वाली हमारी कोशिश होनी चाहिए। उसके घर से जो मिला है मैं उसमें कुछ ज्यादा अतिरिक्त जोड़ दूंगा। मेरा उसकी जिंदगी में बदलाव लाने का कोई न कोई योगदान होगा।
प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों को पर्यटन पर ले जाने और उन्हेंने देश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासतों और विविधताओं से परिचय कराने के कार्यक्रमों के महत्व को भी रखांकित किया। उन्होंने बोकारो (झारखंड) की संस्कृत की अध्यपिका आशा रानी से बातचीत में बच्चों को वैदिक गणित से परिचय कराए जाने के विषय में चर्चा की। कोल्हापुर के एक कला शिक्षक ने समालविया में अपने स्कूल और आस पास के बड़ी संख्या में बच्चों को शास्त्रीय और लोक नृत्य का प्रशिक्षण देने के अपने कार्य की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिव तांडव स्तोत्र पर उन्होंने दो-दो, तीन-तीन सौ बच्चों की टोली के साथ प्रस्तुतियां करायी हैं। हरियाणा के शिक्षा विभाग के अंग्रेजी के प्रवक्ता डॉ. अविनाशा शर्मा ने वंचित वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी का पाठ पढ़ाने-समझाने की ‘ प्रयोगशाला” के विषय में बताया।