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भूजल संरक्षण के लिए किसानों को बतानी होगी नवीनतम तकनीक
भूजल संरक्षण के लिए किसानों को बतानी होगी नवीनतम तकनीक
लखनऊ (डीएनएन)।    09 Aug 2024       Email   

लखनऊ (डीएनएन)। शहरी जल प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र लखनऊ, वाटर डाइजेस्ट बेंटले सिस्टम्स और एंड्रिज के सहयोग से शुक्रवार को राजधानी में आयोजित किया गया। इस एक दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य स्थायी शहरी जल प्रबंधन के लिए नवीन समाधानों और रणनीतियों पर प्रकाश डालना था। कार्यशाला का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने किया। मुख्य सचिव ने कहा कि हम सभी के लिए जल अति महत्वपूर्ण है। भूजल का सर्वाधिक उपयोग कृषि कार्य में होता है। दुनिया में 10 प्रतिशत, भारत में 45 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 75 प्रतिशत भूजल का उपयोग कृषि कार्य में होता है। उत्तर प्रदेश कृषि क्षेत्र में पावरहाउस के रुप में काम करता है। पिछले कुछ सालों में प्रदेश में धान का रकबा बढ़ने से भूजल का दोहन और बढ़ गया है। उन्होंने पानी के कुशल उपयोग और पानी के पुन: उपयोग को बढ़ावा देने के लिए डेटा को कार्रवाई में बदलने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के प्रति किसानों को जागरुक करना होगा और उन्हें नवीनतम तकनीकी के बारे में बताना होगा। 
उन्होंने इजरायल का उदाहरण देते हुए कहा कि इजरायल में 300 मिलीलीटर रेनफॉल होता है और वहां पर पानी की भारी किल्लत है। वहां पर खेती ग्रीन हाउस और शेड में होती है। खेती के दौरान वहां पर मीठे और खारे पानी को मिश्रित रूप में इस्तेमाल किया जाता है। विकसित देश जल को लेकर सचेत रहते हैं। उन्होंने कहा कि आमजन तक स्वच्छ जल पहुंचे, यह शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। आगरा में वर्ल्ड क्लास परियोजना बनाकर जल को ट्रीट करके सप्लाई किया जा रहा है। डिजिटलीकरण शहरी स्तर पर पेयजल संचालन में आमूलचूल परिवर्तन लाने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला से शहरी जल प्रबंधन के डिजिटलीकरण एवं डाटा संग्रह की उपयोगिता से जल संसाधनों को कुशलतापूर्वक और स्थायी रूप से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। उद्घाटन सत्र के बाद, कार्यशाला को 2 सत्रों में आयोजित किया गया। नीति और तकनीक और डेटा से कार्य में परिवर्तन। दोनों सत्रों में विशेषज्ञों और वक्ताओं के प्रभावशाली योगदान से चर्चा समृद्ध हुई। इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र ने शहरी जल प्रबंधन की समझ को गहरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने प्रतिभागियों को विशेषज्ञों के साथ सीधे जुड़ने का अवसर प्रदान किया. जिसने विचारों के जीवंत आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया और अधिक सूचित और प्रभावी समाधानों के मार्ग को प्रशस्त किया।
बढ़ती शहरी आबादी के साथ जल क्षेत्र की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं : अमृत अभिजात
वाटर डाइजेस्ट की निदेशक और संपादक अनुपमा माधोक सूद के स्वागत भाषण और दीप प्रज्ज्वलन के बाद, कार्यशाला की शुरुआत क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस), लखनऊ के निदेशक डॉ. निशीथ राय के उद्घाटन भाषण से हुई। उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात (आईएएस) ने मुख्य संबोधन दिया, जिसमें शहरी क्षेत्रों में नवाचार और सतत जल प्रबंधन प्रथाओं की तात्कालिक आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि बढ़ती शहरी आबादी के साथ जल क्षेत्र की चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। स्वच्छ भारत मिशन ने स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया। कहा कि शहरी स्थानीय निकायों की क्षमताएं बढ़ती जनसंख्या की मांगों को पूरा करने में सीमित है। इसलिए तकनीकी हस्तक्षेप स्थानीय निकायों को प्रभावी निगरानी और नागरिकों को कुशल सेवा प्रदान करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कार्यशाला नीति निर्माताओं और सरकार को शहरी जल प्रबंधन में सुधार के लिए कुछ अच्छे सुझाव प्रदान करेगी।
शहरी जल प्रबंधन में नीति और तकनीक के बीच सेतु
इस सत्र में नीति रूपरेखाओं और तकनीकी प्रगति के बीच महत्वपूर्ण संबंधों पर प्रकाश डाला गया। विशेषज्ञों ने चर्चा की कि कैसे स्मार्ट प्रौद्योगिकियां, जल निगरानी और प्रबंधन को बदल रही हैं, जबकि प्रगतिशील नीतियां स्थायी प्रथाओं का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इस सत्र की अध्यक्षता अनुज झा निदेशक, निदेशालय शहरी स्थानीय निकाय और मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन ने की। कमलकन्नन धिरुवाड़ी, दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय कार्यकारी, बेंटले सिस्टम्स,अंशुमान निदेशक जल संसाधन टेरी, आरपी सिंह महाप्रबंधक जल, नोएडा विकास प्राधिकरण और एके गुप्ता अपर निदेशक क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस) लखनऊ द्वारा विचारोत्तेजक प्रस्तुतियां और वार्ताएं की गई।
डेटा से कार्य तक का सफर
इस सत्र में वक्ताओं ने डेटा संग्रह से लेकर क्रियाशील अंतरदृष्टियों तक के सफर पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने एडवांस्ड डाटा एनालिटिक्स मशीन लर्निंग प्रेडिक्टिव मॉडलिंग तकनीकों के बारे में सीखा, जो शहरी जल प्रबंधन में प्रभावी निर्णय लेने को बढ़ावा दे रही है। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अलका सिंह संयुक्त निदेशक आरसीयूईएस लखनऊ ने की जिसमें मोहम्मद शफी के मुख्य परिचालन अधिकारी इंडिया क्लस्टर, कुलदीप सिंह महाप्रबंधक जल संस्थान लखनऊ, जय प्रकाश जल कल अयोध्या नगर निगम, कुमार गौरव महाप्रबंधक जल संस्थान प्रयागराज और मोहित ब्राडू वरिष्ठ अकाउंट मैनेजर बेंटले सिस्टम्स के विचारपूर्ण दृष्टिकोण शामिल थे। इस कार्यक्रम का आयोजन वाटर डाइजेस्ट द्वारा क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र (आरसीयूईएस), लखनऊ के सहयोग से किया गया।






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