नयी दिल्ली। भारत में कोरिया के राजदूत चांग-जे-बोक ने हांगल को अनूठी भाषा करार देते हुये मंगलवार को कहा कि इसकी विभिन्न विशेषताएं इसे पढ़ने-लिखने में आसान बनाती हैं। श्री चांग-जे-बोक ने यहां एपीजे स्कूल इंटरनेशनल, पंचशील पार्क में आयोजित हांगल दिवस के उपलक्ष्य में कहा कि यह कंप्यूटर और स्मार्टफोन के युग के लिये बहुत उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत अच्छी लेखन प्रणाली है, जिसे वैज्ञानिक और व्यवस्थित होने के कारण दुनिया भर के भाषाविदों ने सराहा है। यह भाषा के उच्चारण को सही तरीके से व्यक्त कर सकता है।
उन्होंने कोरियाई भाषा सीखने के महत्व पर जोर देते हुये कहा कि इस भाषा का ज्ञान एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर चुका है। कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र, भारत कोरियाई भाषा सीखने और संस्कृति को समझने में यहां के लोगों की मदद करता रहेगा। इसके साथ ही कोरियाई कंपनियों के साथ आपके नेटवर्क को मजबूत करेगा। उन्हें उम्मीद है कि कोरियाई भाषा सीखने वाले लोग कोरिया और भारत के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान के उज्ज्वल भविष्य में अग्रणी बनेंगे।
कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र, भारत के निदेशक ह्वांग इल योंग ने कोरियाई लिपि दिवस के मौके पर कहा, “ मुझे उम्मीद है कि इस आयोजन से भारत में कोरियाई संस्कृति और हांगल के प्रति रुचि और समझ बढ़ेगी। किसी भाषा को सीखना उस संस्कृति के दरवाजे खोलने की कुंजी है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में, भारत में और अधिक लोग कोरियाई भाषा सीखकर कोरियाई संस्कृति को गहराई से समझ और अपना सकेंगे। ”
उन्होंने कहा कि कोरियाई सांस्कृतिक केंद्र भारत, स्थानीय स्कूलों और किंग सेजोंग संस्थानों के माध्यम से कोरियाई भाषा के पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इस साल 42 स्कूलों में 2,572 छात्र कोरियाई भाषा सीख रहे हैं। नयी दिल्ली में सात किंग सेजोंग संस्थान हैं और बेंगलुरु में भी एक संस्थान खुलने वाला है। वर्ष 2022 से अब तक 11,547 छात्र कोरियाई भाषा सीख चुके हैं। कोरियाई दक्षता परीक्षा में भी रुचि बढ़ रही है, जिसमें अप्रैल में 1,248 और अक्टूबर में 735 लोगों ने भाग लिया। ताइक्वांडो सीखने में भी युवाओं की रुचि बढ़ी है, जिससे 47 स्कूलों में 3,939 छात्र ताइक्वांडो सीख रहे हैं।