नई दिल्ली .... उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में हालिया बाढ़ और भूस्खलनों से हुई तबाही ने हिमालय की संवेदनशील पारिस्थितिकी पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसी पृष्ठभूमि में हिमालय की सुरक्षा को लेकर देश के कई वरिष्ठ राजनेता, पर्यावरणविद और वैज्ञानिकों ने चार धाम परियोजना पर पुनर्विचार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अपीलकर्ताओं में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता डॉ. करण सिंह, पर्यावरणविद शेखर पाठक, इतिहासकार रामचंद्र गुहा और सामाजिक कार्यकर्ता केएन गोविंदाचार्य समेत 57 प्रमुख लोग शामिल हैं। 14 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 15 दिसंबर 2020 के परिपत्र को वैध ठहराया था।
पहली,14 दिसंबर 2021 के निर्णय को वापस लिया जाए। दूसरी,2020 के परिपत्र को निरस्त कर 2018 की नीति बहाल की जाए, जिसमें 5.5 मीटर चौड़ी इंटरमीडिएट सड़क की सिफारिश की गई थी। अपीलकर्ताओं ने कहा कि गंगा-हिमालय बेसिन 60 करोड़ लोगों का जीवन-आधार है। यदि हिमालय नष्ट होता है तो पूरा देश प्रभावित होगा। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51-ए(जी) का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल व मुख्यमंत्री को कुलपति की नियुक्तियों को लेकर समिति की सिफारिशों पर उनकी आपत्तियां कारण सहित बताने का निर्देश दिया। इससे पहले शीर्ष अदालत ने जुलाई में जारी निर्देशों में संशोधन किया था और शेष 15 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में अपनी वरीयता क्रम निर्धारित करने का काम जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली समिति पर छोड़ दिया था। शीर्ष अदालत ने सोमवार को कहा था कि समिति की सिफारिशें एक सीलबंद लिफाफे में आई हैं।
वन्यजीव अभयारण्यों को अधिसूचित करने में देरी पर झारखंड सरकार को सुप्रीम फटकार : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को पूर्व में कई बार आश्वासन देने के बावजूद सारंडा और सासंगदाबुरु वनों को वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षण रिजर्व घोषित नहीं किए जाने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि यदि इस मुद्दे पर पिछले आदेशों का पालन अगली सुनवाई (8 अक्तूबर) तक नहीं हुआ तो राज्य के मुख्य सचिव को कारण बताना होगा कि उनके खिलाफ क्यों न अवमानना का मुकदमा चलाया जाए।
छात्र की मेडिकल ट्रांसफर की मांग वाली याचिका पर आईआईटी खड़गपुर को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस : सुप्रीम कोर्ट ने बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर से पीड़ित आर्किटेक्चर में स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र की आईआईटी दिल्ली में ट्रांसफर की मांग वाली याचिका पर आईआईटी खड़गपुर और अन्य से जवाब मांगा है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी दिल्ली और एम्स को 10 अक्तूबर तक जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने वकील विपिन नायर के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया कि सभी निर्धारित प्रक्रियाओं और स्थापित मिसालों का पालन करने के बावजूद उन्हें स्थानांतरण से वंचित कर दिया गया।