नई दिल्ली .... संसद में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों के लगातार 30 दिन जेल में रहने पर उन्हें स्वत: पदमुक्त माने जाने के प्रावधान वाले 130 वें संविधान संशोधन विधेयक की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से अपने को दूर रख सकती है ।
पार्टी के एक सूत्र ने कहा, ' कांग्रेस ने तय कर लिया है कि वह 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित जेपीसी में शामिल नहीं होगी।" सूत्रों ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति में शामिल न होने की औपचारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी।
इस संविधान संशोधन विधेयक में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के 30 दिन तक जेल में रहने पर उनका पद पर बने रहने का अधिकार स्वत: समाप्त माने जाने के प्रावधान हैं। इस विधेयक को लोक सभा में रखे जाने के समय से ही कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती आ रही है।। विपक्ष के कई दल पहले ही इस संसदीय समिति में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।
कांग्रेस से पहले तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और आम आदमी पार्टी ने घोषणा की थी कि वे समिति का हिस्सा नहीं होंगी। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और द्रविण मुनेद्र कझगम ( डीएमके) ने भी समिति का बहिष्कार करने का संकेत दिया है।
यह विधेयक संसद के मानसून सत्र के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किए था यह एक तरह से तीन विधेयकों का सेट है। इसका उद्येश्य है कि भविष्य में कोई भी नेता 'जेल से सरकार नहीं चला सके।'
इसमें प्रावधान है कि पांच साल से ज्यादा की सजा वाले गंभीर आपराधिक मामलों में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर उन्हें अदालत से जमानत नहीं मिली तो उन्हें पद छोड़ना होगा। इसमें यह भी प्रावधान है कि ऐसे व्यक्ति अगर अदालत से बरी होते हैं, तो फिर उनकी उस पद पर नियुक्ति की जा सकती है।
श्री शाह ने विपक्ष के हंगामे के बीच विधेयक को सरकार की ओर से संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की समक्षा के लिए भेजे जाने का प्रस्ताव लाेक सभा में रखा था। समिति को अपनी रिपोर्ट शीतकालीन सत्र में देनी थी पर इसका अभी गठन नहीं हो सका है।
इस समिति में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य होंगे।