नई दिल्ली .... ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा बड़ी संख्या में ड्रोन का इस्तेमाल किये जाने के बाद इस तरह के हमलों से निपटने की तैयारी के तहत भारतीय सेना ने रेगिस्तानी इलाके में अग्रिम क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ड्रोन और ड्रोन रोधी अभ्यास 'वायु समन्वय-दो' सफलतापूर्वक किया है।
सेना के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि रेगिस्तानी इलाका और मौसम की स्थिति दोनों तरह के अभियानों के लिए एक आदर्श 'टेस्टिंग ग्राउंड' साबित हुई।
दो दिन का यह अभ्यास दक्षिणी कमान की देखरेख में पिछले सप्ताह 28 और 29 अक्टूबर के बीच हुआ। इस अभ्यास को विभिन्न हवाई और जमीनी प्लेटफार्म के साथ वास्तविक, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और एक प्रतिस्पर्धी संचालन वातावरण में मल्टी डोमेन कमान और नियंत्रण केंद्रों के विलय के साथ अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए सेना की तैयारी के लिए डिज़ाइन किया गया था।
दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने अभ्यास की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि यहां सीखे गए सबक सीधे क्षमता विकास और ड्रोन और ड्रोन रोधी प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में योगदान देंगे।
यह अभ्यास मल्टी डोमेन वातावरण में आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए सेना के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एक बयान में कहा गया है," सेना अपनी परिचालन क्षमता को आधुनिक बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और सभी डोमेन में उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए तत्परता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
इस अभ्यास ने सैनिकों को एक परिचालन वातावरण के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के साथ प्रयोग करने में भी सक्षम बनाया। इसने ड्रोन और काउंटर ड्रोन संचालन के लिए सैद्धांतिक सिद्धांतों को विकसित करने और परीक्षण करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे हवाई खतरों के खिलाफ सेना की जवाबी कार्रवाई की क्षमता मजबूत हुई।
इस अभ्यास के दौरान सेना की विभिन्न शाखाओं के बीच संयुक्त संचालन का भी प्रदर्शन किया गया जिससे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी सक्षम संचालन के लिए समन्वय मजबूत हुआ।