नयी दिल्ली.... हर सैनिक को ड्रोन चलाने में पारंगत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सेना की दक्षिणी कमान स्वदेशी ड्रोन विकसित करने का इकोसिस्टम तैयार करने में जुटी है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। सेना ड्रोन प्रौद्योगिकी में बढत हासिल करने के लिए नवाचार को बढावा दे रही है और इसकी धमक युद्ध के मैदान में भी सुनी जा रही है। इन ड्रोन की क्षमता का त्रिशूल अभ्यास के दौरान परीक्षण भी किया गया है जो सफल रहा है।
सेना ईएमई कोर की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बढत का इस्तेमाल करते हुए लघु इकाईयों के साझीदारों के साथ मिलकर कमान की ड्रोन सर्विलांस, प्रिसिशन स्ट्राइक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर भूमिकाओं के लिए नई पीढ़ी के मानवरहित यान विकसित कर रही है।
त्रिशूल अभ्यास के दौरान फील्ड-टेस्ट किए गए इन स्वदेशी ड्रोन ने मुश्किल युद्ध स्थितियों में असाधारण सटीकता, सहनशक्ति और मिशन में लचीलापन दिखाया। ये परीक्षण स्वदेशी प्रौद्योगिकी को सीधे 'ऑपरेशनल फ्रेमवर्क' में शामिल करने में एक मील का पत्थर है।
दक्षिणी कमान इस दिशा में पहल करते हुए नवाचार, स्वदेशी रक्षा उद्योग सहयोग और प्रौद्योगिकी एप्लीकेशन को एकीकृत करने में लगी है। इससे प्रौद्योगिकी के लिए लैस भविष्य के लिए तैयार 'फोर्स' बन रही है।