नयी दिल्ली.... संस्कृति मंत्रालय का राष्ट्रीय संग्रहालय 'अक्षर-संस्कृति - संस्कृति के स्तंभ' के रूप में भारत की गहन शास्त्रीय विरासत का तीन दिवसीय उत्सव मना रहा है और इसका आयोजन शुक्रवार से यहां संग्रहालय में किया जाएगा।
आधिकारिक सूचना के अनुसार राष्ट्रीय संग्रहालय द कैलिग्राफी फाउंडेशन के साथ अपनी शास्त्रीय विरासत का उत्सव मनाते हुए 'अक्षर महोत्सव 2025' का आयोजन कर रहा है। यह राष्ट्रीय उत्सव 14 से 16 नवंबर तक यहां राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित किया जाएगा।
फाउंडेशन के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया, "यह महोत्सव एक आयोजन से कहीं बढ़कर है और इस बात की पुष्टि करने का एक आंदोलन है कि हमारी लिपियाँ हमारी सांस्कृतिक पहचान का आधार हैं। हम यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि कैसे ये प्राचीन शैलियाँ हमारी आधुनिक दुनिया में भी अपार प्रासंगिक है।"
उन्होंने बताया कि इसमें लेखन से सुलेखन यानी राइटिंग से कैलिग्राफी तक के मार्गदर्शक आदर्श वाक्य से प्रेरित एक भव्य प्रदर्शनी भी होगी। इसमें 100 से अधिक समकालीन सुलेख कलाकृतियों और अमूल्य ऐतिहासिक पांडुलिपियों का एक संग्रह भी प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें श्री अच्युत पलव और श्री महेंद्र पटेल जैसे दिग्गज अक्षर कलाकारों से सीखें, जो अक्षरों को जीवंत बनाते हैं। इस दौरान गहन चर्चाएँ, सुलेख कला के पीछे "व्याकरण, ज्यामिति और हावभाव" की खोज करने वाले शैक्षणिक सत्र जैसे विषय आयोजन के आकर्षक होंगे।