नई दिल्ली ..... लोकसभा में गुरुवार को गुटखे के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले गंभीर दुष्प्रभावों पर चिंता व्यक्त करते हुए सदस्यों ने सरकार से इसके उपभोग को हतोत्साहित करने के उपाय करने की मांग की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक, 2025’ पेश करते हुए कहा कि पान मसाला और गुटखा पर उपकर लगाने से ये महंगे हो जायेंगे और इनके सेवन में कुछ कमी आयेगी। इससे लोगों को इससे होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इससे अर्जित राजस्व को योजनाओं के जरिए राज्यों को भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से पान मसाला के उत्पादन पर ही उप कर लगाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पान मसाला उत्पाद शुल्क के दायरे में नहीं आता, इसलिए इस पर उप कर लगाने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है। इससे पान मसाले पर लगने वाला वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम या ज्यादा नहीं होगा। यह उप कर जीएसटी से अतिरिक्त होगा। विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के वरुण चौधरी ने कहा कि किसी वस्तु या सेवा पर उपकर लगने से राजस्व राज्यों को नहीं देना पड़ता है और इसकी पूरी राशि केन्द्र को मिल जाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि वित्त मंत्री ने विधेयक को पेश करते हुए आश्वासन दिया है कि उपकर के माध्यम से अर्जित राजस्व योजनाओं के माध्यम से राज्यों को दिया जायेगा। अच्छा होता कि इसके प्रावधान विधेयक में ही कर दिये गये होते। उन्होंने कहा कि पान मसाले के उत्पादन पर उप कर लगेगा, तो संबंधित अधिकारी इसकी जांच करने फैक्टि्रयों और कारखानों में जायेंगे और इससे भ्रष्टाचार और इंस्पेक्टर राज्य की आशंका है। उन्होंने कहा कि उपकर लगाने से इस व्यवसाय में लगे लघु उद्योगों पर विपरीत असर पड़ेगा। इन सब दिक्कतों को देखते हुए इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए, जिससे इसकी कमियां दूर की जा सकें। भारतीय जनता पार्टी के जगदम्बिका पाल ने कहा कि यह विधेयक लाकर सरकार ने बहुत सराहनीय कार्य किया है। इससे मोदी सरकार की आम जन के स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति गंभीरता परिलक्षित होती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की आयुष्मान योजना से स्पष्ट है कि सरकार गरीबों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक देश हित में है, अतः इसे सर्वसम्मति से पारित किया जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी के वीरेन्द्र सिंह ने कहा कि उपकर से एकत्र होने वाले राजस्व को कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार और नियंत्रण पर खर्च किया जाये तो ही इसकी सार्थकता सिद्ध हो सकेगी। उन्होंने गुटखा और पान मसाला के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत असर को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्वांचल में ही प्रति वर्ष दो लाख से अधिक कैंसर के मरीज चिह्नित हो रहे हैं। पूर्वांचल में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ही इसकी जांच और उपचार की व्यवस्था है, जिससे पीड़ितों को बड़ी कठिनाइयां होती है। उस क्षेत्र में कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए और केन्द्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अति पिछड़े, दलितों और आदिवासी क्षेत्रों में शराब और अन्य मादक पदार्थों के ठेके खोले जा रहे हैं जिससे इन वर्गों के लोग इनकी लत में फंसते जा रहे हैं। इस पर रोक लगाने के साथ ही इस बारे में कठोर कानून बनाये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उप कर से अर्जित राजस्व स्वास्थ्य और राष्ट्र सुरक्षा में लगे तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने मांग की कि उपकर को किसी अन्य तरीके से खर्च नहीं किया जाना चाहिए।