नयी दिल्ली..... फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया राइस मिलर्स एसोसिएशन (एफएकआईआरएमए) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई ) में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित खरीफ विपणन पायलट प्रोजेक्ट को देशभर में लागू करने की मांग की है।
एफएकआईआरएमए के अध्यक्ष तरसेम लाल सैनी ने यह जानकारी यहां मंगलवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से दी।
एफएकआईआरएमए ने पत्र में बताया कि खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 और 2020-21 में इस परियोजना पर अध्ययन किया गया था। इसके बाद खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया, जिसके परिणाम सकारात्मक रहे। फरवरी 2023 में तत्कालीन खाद्य मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से इसे पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया गया था।
संघ का आरोप है कि खाद्य मंत्रालय के कुछ अधिकारियों और एफसीआई के फील्ड स्टाफ ने मिलकर इस योजना को बंद कराने की कोशिश की। इसके चलते हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया, जिससे राइस मिलर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ा। एफएकआईआरएमए का कहना है कि 31 अक्टूबर 2025 को योजना फिर से लागू की गई, लेकिन अब इसे केवल 10 प्रतिशत चावल पर ही सीमित किया जा रहा है।
इसके अलावा, एफएकआईआरएमए ने फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) योजना पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। संघ का आरोप है कि एफआरके निर्माता बीआईएस और एफएसएसएआई मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।
एफएकआईआरएमए ने मांग की है कि फिलहाल नॉन-फोर्टिफाइड चावल की खरीद की जाए और एफआरके योजना को पूरी तरह बंद किया जाए, ताकि किसानों, उपभोक्ताओं और सरकार के हितों की रक्षा हो सके।