नयी दिल्ली..... राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले एक माह से वायु प्रदूषण की समस्या अब स्वास्थ्य के लिये गंभीर खतरे का कारण बनती जा रही है, विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के लिये।
इलनेस टु वेलनेस फाउंडेशन (आईटीडब्ल्यूएफ) द्वारा फिक्की के सहयोग से गुरूवार कोआयोजित 'स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव एवं बचाव के कदम' विषय पर आयोजित गोष्ठी में यह बात सामने आयी।
विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास के लिए भी गंभीर खतरा बनता जा रहा है। वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, सांस की बीमारियां और न्यूरोलॉजिकल रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से आयु घटने के साथ ही कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं अपंगता बढ़ रही है और स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ रहा है, जिसका प्रभाव देश के विकास पर पड़ रहा है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव राजेश भूषण ने कहा कि वायु प्रदूषण को एक गंभीर जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखना जरूरी है।
मैक्स साकेत के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. दलजीत सिंह ने वायु प्रदूषण और स्ट्रोक पर जानकारी देते हुये कहा कि दुनियाभर में लगभग 17 प्रतिशत स्ट्रोक प्रदूषित हवा के कारण होते हैं। प्रदूषण दिमाग में खून के प्रवाह को प्रभावित करता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अल्जाइमर, डिमेंशिया और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है।
संगोष्ठी में विशेषज्ञों ने एकजुट होकर काम करने की अपील की और कहा कि स्वच्छ हवा को हर नागरिक का मौलिक अधिकार मानते हुए इसके लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।