नयी दिल्ली.... केंद्र सरकार ने गुरुवार को अफगानिस्तान में कई प्रमुख स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार इन पहलों में पक्तिया, खोस्त और पक्तिका प्रांतों में पांच प्रसूति और स्वास्थ्य क्लीनिकों के साथ-साथ काबुल में एक तीस बिस्तरों वाले अस्पताल का निर्माण शामिल है। इसके अलावा काबुल में कैंसर, ट्रॉमा, जांच और थैलेसीमिया केंद्रों जैसी प्रमुख सुविधाओं का निर्माण या उन्नयन भी इन स्वीकृत परियोजनाओं का हिस्सा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और अफगानिस्तान के लोक स्वास्थ्य मंत्री मौलवी नूर जलाल जलाली के बीच गुरुवार रात हुई एक समीक्षा बैठक के बाद इन फैसलों की घोषणा की गयी।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अतिरिक्त प्रस्तावों पर भी सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। पिछले चार वर्षों में भारत के निरंतर सहयोग का उल्लेख करते हुए श्री नड्डा ने बताया कि भारत ने अब तक अफगानिस्तान को 327 टन दवाओं और टीकों की आपूर्ति की है। अफगान सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुरोध पर एक सीटी स्कैन मशीन और कैंसर की दवाएं भेजने की भी तैयारी है।इन्हें इस महीने के अंत तक पहुंचा दिया जाएगा। इसके साथ ही रेडियोथेरेपी मशीन और अन्य चिकित्सा आपूर्ति के प्रस्तावों पर भी काम चल रहा है।
अफगानिस्तान में स्वास्थ्य सेवाओं की क्षमता बढ़ाने के लिए भारत वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम भेजने की योजना बना रहा है जो वहां मेडिकल कैंप आयोजित करेगी और अफगान स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
भारत ने आपातकालीन या गंभीर बीमारियों से ग्रस्त अफगान रोगियों को भारतीय अस्पतालों में मुफ्त इलाज देने और मेडिकल वीजा की सुविधा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया है। वर्ष 2021 में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से भारत ने औपचारिक मान्यता दिए बिना अफगानिस्तान में मानवीय उपस्थिति बनाये रखी है। भारत ने पाकिस्तान के रास्ते को छोड़कर ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से गेहूं, टीके और दवाएं वितरित की हैं।