प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को कोरोना वायरस संकट पर चर्चा की और कोविड-19 के बाद विश्व की चुनौतियों का मिलकर समाधान करने के लिए दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूती प्रदान करने का संकल्प लिया। दोनों नेताओं की टेलीफोन पर हुई बातचीत में इस बात पर भी सहमति बनी कि द्विपक्षीय संपर्क और परामर्शों की गति बनाए रखी जाएगी जो कि इस वर्ष के अंत में भारत में होने वाले वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के आयोजन में मददगार होगी। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करने के लिए अपनी उत्सुकता भी व्यक्त की। प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने कोविड -19 वैश्विक महामारी के नकारात्मक परिणामों को दूर करने के लिए दोनों देशों द्वारा किए गए प्रभावी उपायों की चर्चा की। साथ ही कोविड के बाद की दुनिया की चुनौतियों से मिलकर मुकाबला करने के लिए भारत और रूस के करीबी रिश्तों के महत्व पर भी दोनों नेताओं ने सहमति जताई। बयान के मुताबिक राष्ट्रपति पुतिन ने फोन कॉल के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच विशिष्ट और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री ने द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर मनाए जा रहे समारोहों की सफलता और रूस में संवैधानिक संशोधनों पर वोट के सफल समापन के लिए गर्मजोशी से बधाई दी। इस बीच, रूस ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने रूस और भारत के एजेंडे में मौजूद सामयिक मुद्दों पर बातचीत की और विशेषाधिकार प्राप्त द्विपक्षीय सामरिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्धता जताई। साथ ही द्विपक्षीय प्रारूप और अंतरराष्ट्रीय संगठनों व संघों में नजदीकी सहयोग को लेकर भी दोनों नेता सहमत हुए। प्रधानमंत्री ने 24 जून 2020 को मास्को में आयोजित सैन्य परेड में एक भारतीय टुकड़ी की भागीदारी को याद करते हुए, इसे भारत और रूस की जनता के बीच स्थाई दोस्ती का प्रतीक बताया। साथ ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 2036 तक पद पर बने रहने का प्रावधान करने वाले संविधान संशोधन को देश के लगभग 78 प्रतिशत मतदाताओं ने स्वीकृति प्रदान की है। रूस के चुनाव अधिकारियों ने गुरुवार को मतगणना पूरी होने के बाद यह जानकारी दी। क्रेमलिन के आलोचकों का कहना है कि अपेक्षित नतीजे पाने के लिए मतदान में धांधली की गई। रूस के केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने कहा कि सप्ताह भर चली मतदान की प्रकिया का अंत बुधवार को हुआ और गुरुवार की सुबह तक मतगणना पूरी कर ली गई थी। आयोग ने कहा कि 77.9 प्रतिशत मत संविधान संशोधन के पक्ष में पड़े और 21.3 प्रतिशत मत संशोधन के विरोध में डाले गए। चुनाव के आंकड़ों से दस साल में पुतिन को मिले सबसे ज्यादा जन समर्थन का पता चलता है। सन 2018 के चुनाव में 76.7 प्रतिशत मतदाताओं ने पुतिन की उम्मीदवारी का समर्थन किया था जबकि 2012 के चुनाव में केवल 63.6 प्रतिशत मतदाता पुतिन को राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते थे। क्रेमलिन के आलोचकों का कहना है कि देश में जीवन स्तर घट रहा है जिससे देश में बड़े स्तर पर निराशा का माहौल व्याप्त है और ऐसे में पुतिन के पक्ष में आए मतदान के आंकड़े वास्तविक नहीं हैं।