नयी दिल्ली........ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 2025 के लिये राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार देते हुए बुधवार को कहा कि देश के विकास में दिव्यांगजनों की भागीदारी सुनिश्चित करना सभी हितधारकों का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि यह कोई दान-पुण्य नहीं है।
श्रीमती मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर कहा, "दिव्यांगजन समानता के हकदार हैं। समाज और देश की विकास यात्रा में उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करना सभी हितधारकों का कर्तव्य है, न कि कोई दान-पुण्य। दिव्यांगजनों की समान भागीदारी से ही किसी समाज को वास्तविक अर्थों में विकसित माना जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2025 का विषय, 'सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दिव्यांगता-समावेशी समाजों को बढ़ावा' भी इसी प्रगतिशील विचार पर आधारित है।
श्रीमती मुर्मू ने इस बात पर खुशी ज़ाहिर की कि हमारा देश कल्याणकारी मानसिकता से आगे बढ़ते हुए, दिव्यांगजनों के लिये अधिकार-आधारित, सम्मान-केंद्रित व्यवस्था अपना रहा है।
उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों का समावेश हमारी राष्ट्रीय विकास यात्रा का एक अभिन्न अंग है। साल 2015 से "दिव्यांगजन" शब्द के प्रयोग का निर्णय दिव्यांगजनों के प्रति विशेष सम्मान प्रदर्शित करने के लिये लिया गया था।
श्रीमती मुर्मू ने कहा, "सरकार दिव्यांगजनों के समावेशन और सशक्तिकरण के लिए पारिस्थितिकी-तंत्र को मजबूत कर रही है। उनके लिये सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास और खेल प्रशिक्षण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कई राष्ट्रीय स्तर के संस्थान स्थापित किये गये हैं। लाखों दिव्यांगजनों को विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र जारी किये गये हैं, जिससे उन्हें विशेष सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।"
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि दिव्यांगजनों के हितों के लिये सरकार के साथ-साथ समाज को भी जागरूक और सक्रिय रहना चाहिये। इससे सरकार के प्रगतिशील प्रयासों को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों की गरिमा, स्वावलंबन और आत्म-सम्मान सुनिश्चित करना सभी नागरिकों का दायित्व है। प्रत्येक नागरिक को सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के अपने प्रयासों में दिव्यांगजनों को भागीदार बनाने का संकल्प लेना चाहिये।