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राष्ट्रपति चुनाव में होगी क्रास वोटिंग!
राष्ट्रपति चुनाव में होगी क्रास वोटिंग!
आशीष वशिष्ठ    01 Jul 2017       Email   

एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत पक्की है। लेकिन ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की ओर से घोषित साझा विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार आसानी से हार मानने वाली हैं। कांग्रेस और सीपीएम ने दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ मिल कर चुनाव में पूरी ताकत लगाई है। हर राज्य में उनके जाने और विधायकों सांसदों से मिल कर समर्थन जुटाने की तैयारी चल रही है। मीरा कुमार के चुनावी रणनीतिकारों का कहना है कि कई राज्यों में क्रॉस वोटिंग हो सकती है। इसमें बिहार और उत्तर प्रदेश सबसे अहम हैं। ये दोनों राज्य दोनों उम्मीदवारों के हैं। मीरा बिहार और कोविंद उत्तर प्रदेश के हैं। सो, उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टियों और राष्ट्रीय पार्टियों के सांसदों और विधायकों के ऊपर दबाव है कि वे अपने राज्य के उम्मीदवार को वोट करें। तभी इन दोनों राज्यों में क्रॉस वोटिंग की संभावना बताई जा रही है। उत्तर प्रदेश की दोनों विपक्षी पार्टियों सपा और बसपा ने विपक्षी उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने का एलान किया है। लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि सपा के कुछ नेता रामनाथ कोविंद का समर्थन करें। मीरा कुमार उत्तर प्रदेश के दौरे में सपा और बसपा के विधायकों और सांसदों से अलग-अलग मुलाकात करेंगी। इस दौरान उनको मिलने वाले समर्थन का अंदाजा लगेगा। उत्तर प्रदेश से पहली बार किसी नेता के राष्ट्रपति बनने की संभावना है, इसलिए सभी नेताओं के ऊपर कोविंद को समर्थन देने का दबाव है। सपा के साथ रहे निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ  राजा भैया ने तभी उनको समर्थन देने की घोषणा की है। 
भाजपा के निशाने पर मायावती 
यूपी के बड़े दलित नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना कर भाजपा ने बसपा सुप्रीमो मायावती की दलित राजनीति पर निशाना साधा है। माना जा रहा है कि दलितों का दिल जीतने की संघ और भाजपा की राजनीति के लिहाज से कोविंद परफेक्ट उम्मीदवार हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष शाह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को ध्यान में रखकर भी यह फैसला किया है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले कुछ समय से राज्य में ठाकुर बनाम दलित के विवाद की वजह से भी फैसला कोविंद के पक्ष में हुआ है। गौरतलब है कि सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच एक बड़ा टकराव हुआ था, जिस पर अभी भी राजनीति चल रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि मोदी और शाह के निशाने पर मायावती का वोट बैंक एकदम शुरू से है। लोकसभा चुनाव में यह वोट बैंक टूटा था और इसका एक बड़ा हिस्सा मोदी के नाम पर भाजपा के साथ आया था। इस बार भी लोकसभा में भाजपा इसका बड़ा हिस्सा अपने साथ लाना चाहती है। तभी उत्तर प्रदेश से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री रामशंकर कठेरिया को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया और उसके तुरंत बाद रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने की घोषणा हुई। भाजपा के नेता मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में यह दांव बहुत कारगर होगा।
राष्ट्रपति चुनाव और सपा 
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी की राजनीति समझ से परे है। एक तरफ  पार्टी के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस की ओर से घोषित विपक्ष की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देगी। लेकिन मुलायम सिंह और शिवपाल यादव की अलग राय है। मुलायम ने पहले दिन कहा कि वे रामनाथ कोविंद के पक्ष में हैं, जो एनडीए के उम्मीदवार हैं। चूंकि वे उत्तर प्रदेश के हैं और इससे पहले कभी भी यूपी का कोई नेता राष्ट्रपति नहीं बन पाया है। वे गैर जाटव दलित भी हैं। इसलिए भी मुलायम ने उनको समर्थन का एलान किया। बाद में शिवपाल ने कहा कि वे उसी को वोट देंगे, जिसको मुलायम कहेंगे। चूंकि राष्ट्रपति चुनाव में कोई भी पार्टी व्हिप नहीं जारी कर सकती है, इसलिए अगर कुछ लोग क्रॉस वोटिंग करते हैं तो पार्टी अनुशासन का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। 
क्या होगा नसीमुद्दीन की सदस्यता का!

बसपा सुप्रीमो मायावती का अपने पूर्व सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी को लेकर गुस्सा अभी खत्म नहीं हुआ। बसपा की कोशिश है कि जल्द से जल्द उनकी विधान परिषद सदस्यता समाप्त की जाए। इसीलिए परिषद अध्यक्ष के समक्ष उनकी सदस्यता को चुनौती दी गई है। बसपा का तर्क है कि नसीमुद्दीन ने बीते 27 मई को राष्ट्रीय बहुजन मोर्चा के नाम से एक अलग राजनीतिक दल बना लिया है। चूंकि उनका मूल दल बसपा है। इसलिए उन्हें परिषद की सदस्यता से बीते 27 मई से अयोग्य माना जाए। परिषद में पार्टी नेता विधानपरिषद सुनील कुमार चित्तौड़ ने यह याचिका दायर की है। सिद्दीकी बसपा की ओर से विधान परिषद के सदस्य के रूप में 23 जनवरी, 2015 को निर्वाचित हुए थे। अब यह देखना अहम होगा कि आगामी 11 जुलाई से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में नसीमुद्दीन सिद्दीकी सदन में दिखते हैं या नहीं।
खादी चमकाएंगे सहगल
यूपी की नौकरशाही में सबसे चर्चित आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल को आखिरकर खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया है। सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा है कि सहगल को चाहे कोई विभाग का जिम्मा दो, वो उसे चमका डालेंगे। वैसे भी खादी का प्रधानमंत्री मोदी के एजेंडे में खास महत्व है। वहीं यूपी से देवरिया के सांसद कलराज मिश्र खादी विभाग के केंद्रीय मंत्री हैं। चर्चा इस बात की भी है कि जब सहगल धर्मार्थ कार्य विभाग की पोसि्ंटग में सुर्खियों में रह सकते हैं तो खादी में तो करने का बहुत काम है।






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