नयी दिल्ली.... उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम पर जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा, “यह अधिनियम ‘कठोर’ प्रतीत होता है।”
शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मई 2023 के उस आदेश को चुनौती देने वाले व्यक्ति की अपील पर की, जिसमें इस अधिनियम को लागू किया गया था। उच्च न्यायालय ने कासगंज की जिला अदालत में लंबित अधिनियम के तहत उसके खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दिया था।
पिछले साल नवंबर में सुनवाई के दौरान शीर्ष न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य से याचिका पर जवाब मांगा था। न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश भी जारी किया जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जायेगा।
याचिकाकर्ता के वकील ने आज तर्क दिया कि उनके मुवक्किल पर गंगा नदी में अवैध खनन के आरोपों पर 1986 अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसी तरह के आरोपों पर पहले भी प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है, जिसमें याचिकाकर्ता पर एक ही अपराध के लिए दो बार आरोप लगाये गये हैं। उन्होंने 1986 अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों का हवाला दिया।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, “इस पर विचार करने की आवश्यकता है।” न्यायालय ने यह भी रेखांकित किया कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका पर निर्णय लंबित है।
गत 29 नवंबर को शीर्ष न्यायालय ने अधिनियम के विशिष्ट प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली अलग याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की थी।