लिमासोल/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार देर रात साइप्रस पहुंचे। यह यात्रा खास इसलिए है क्योंकि करीब 20 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री साइप्रस गया है। इससे पहले 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने यह दौरा किया था।
पीएम मोदी की यह यात्रा उनके तीन देशों के दौरे का पहला चरण है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के न्योते पर यह दौरा हो रहा है। एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
यह यात्रा सिर्फ औपचारिक नहीं है, बल्कि भारत की विदेश नीति का रणनीतिक हिस्सा है। भारत अब "मल्टी एलायंस डिप्लोमेसी" यानी कई देशों से मजबूत साझेदारी की नीति अपना रहा है, और साइप्रस जैसे छोटे लेकिन अहम देश से संबंध गहरा करना इसी दिशा में एक कदम है।
रविवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस ने दोनों देशों के व्यापारियों के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया और फिर अनौपचारिक रात्रिभोज किया। सोमवार को दोनों नेताओं के बीच औपचारिक बातचीत होगी और कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी हो सकते हैं।
भारत के लिए साइप्रस क्यों है खास? 5 आसान पॉइंट में समझिए:
1. रणनीतिक साझेदारी: साइप्रस भले छोटा देश हो, लेकिन उसका भौगोलिक स्थान और यूरोप से जुड़ाव भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
2. यूरोपीय कनेक्शन: 1 जनवरी से साइप्रस यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता संभालेगा, जो भारत के लिए यूरोप में संवाद का नया दरवाजा खोल सकता है।
3. आर्थिक अवसर: भारत और साइप्रस के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने की बड़ी संभावना है। टेक, फार्मा और शिपिंग सेक्टर में खासकर।
4. सांस्कृतिक रिश्ते: दोनों देशों के बीच लंबे समय से दोस्ताना संबंध हैं। साइप्रस में भारतीय समुदाय भी मौजूद है।
5. द्विपक्षीय समर्थन: साइप्रस हमेशा भारत के कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर समर्थन करता रहा है, जैसे कश्मीर या आतंकवाद पर रुख।
निष्कर्ष:
पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊर्जा दे सकती है। यह विदेश नीति में भारत की बदलती सोच और वैश्विक मंच पर बढ़ती भूमिका का संकेत है।