लखनऊ (डीएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने चार सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नई काउंसलिंग के एकल पीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि, कोर्ट ने 50 फीसद से अधिक आरक्षण पर एकल पीठ के निर्णय को सही माना है। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान सरकार को शपथ पत्र देना होगा कि अगले सत्र से 50 फीसद की आरक्षण सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। अंबेडकर नगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण सीमा से अधिक दाखिला पाने वाले एससी-एसटी छात्रों को अब दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा। इन छात्रों को अन्य कॉलेजों में खाली 82 सीटों पर समायोजित किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि सरकार निर्धारित समय में 50 फीसद आरक्षण सीमा का पालन करने का शपथ पत्र नहीं देती है, तो यह अंतरिम आदेश प्रभावी नहीं होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राज्य सरकार की अम्बेडकर नगर, कन्नौज, जालौन व सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण के सम्बंध में पारित शासनादेशों को रद्द करने के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपील पर बृहस्पतिवार को आदेश सुना दिया है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर शुरुआती सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार को हफ्ते भर में यह वचन (अंडरटेकिंग) दाखिल करने का निर्देश दिया कि वह आरक्षण अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पालन करेगी। कोर्ट ने मौजूदा काउंसिलिंग जारी रखने की अनुमति तो दे दी लेकिन कहा कि दाखिले, अपील के अंतिम निर्णय के अधीन होंगें। कोर्ट ने अपील पर अगली सुनवाई 6 अक्तूबर को नियत की है। अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा था कि एकल पीठ के निर्णय में क्या कमी है? राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जे एन माथुर ने दलील दी थी कि एकल पीठ के फैसले व आदेश से इन चारों जिलों के मेडिकल कालेजों में दाखिलों के लिए फिर से काउंसिलिंग करनी पड़ेगी। इससे प्रदेश के ने जिलों के मेडिकल कालेजों में दाखिलों के लिए हो रही काउंसिलिंग पर भी असर पड़ेगा। नई काउंसिलिंग से पहले सीट के अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे।