नयी दिल्ली, .... उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने अपनी एक टिप्पणी को लेकर गुरुवार को भ्रम दूर करने की कोशिश की।
न्यायमूर्ति गवई ने खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण की राकेश दलाल की याचिका पर 16 सितंबर को अपनी टिप्पणी पर जारी तीखी प्रतिक्रिया के बीच कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
पीठ ने मध्य प्रदेश में यूनेस्को विश्व धरोहर खजुराहो मंदिर परिसर के हिस्से (जवारी मंदिर) में भगवान विष्णु की सात फुट ऊँची मूर्ति के पुनर्निर्माण और पुनः स्थापित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी मंदिर की देखरेख एएसआई के अधीन आने के संदर्भ में की गई थी। उन्होंने कहा, "हमने यह एएसआई के संदर्भ में कहा था, मैंने यह भी बताया था कि खजुराहो में शिव मंदिर भी है, जो सबसे बड़े लिंगों में से एक है।"
अनुपातहीन प्रतिक्रियाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर भी है, क्योंकि टिप्पणियों को पूरी तरह से गलत जानकारी के साथ वायरल किया गया। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के नाम पर पूरी तरह से संदर्भ से बाहर बातें कही जा रही हैं।
उन्होंने कहा, "हम न्यूटन के नियम को जानते थे कि हर क्रिया की समान (विपरीत) प्रतिक्रिया होती है। अब हर क्रिया पर सोशल मीडिया पर अनुपातहीन प्रतिक्रिया होती है।"
उन्होंने कहा, "किसी ने मुझे कल बताया कि मैंने जो टिप्पणी की थी, उसे सोशल मीडिया पर पेश किया गया है... मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ।"
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मैं मुख्य न्यायाधीश को पिछले 10 सालों से जानता हूँ। उन्होंने सभी धार्मिक स्थलों का दौरा किया है।"
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी मंदिर की देखरेख एएसआई के अधीन आने के संदर्भ में की गई थी।