नयी दिल्ली: भारत में हृदय संबंधी बीमारियों से होने वाली मौतों की सर्वाधिक संख्या होने के बावजूद शायद यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है कि यहां बहुत से लोग सीने में किसी भी प्रकार के दर्द को हृद्याघात ही समझ लेते हैं।
इसके परिणाम स्वरूप बहुत से लोगों को केवल सीने में दर्द की शिकायत या सीने में जलन की शिकायत के साथ अस्पताल जाया जाता है। हृदयाघात की संभावना से बचने के लिए बीमार और उसके आस-पास के लोगों को उपलब्ध संसाधनों के इस्तेमाल से हृदयाघात अथवा इसकी संभावना से उत्पन्न हुये तनाव के बीच भेद करने में सक्षम बनाना चाहिये।
जीएमसी, जम्मू के मेडिसिन विभाग प्रमुख डाक्टर विजय कुंडल ने कहा, ‘अस्पताल लाये जाने वाले बहुत से बीमारों में पाया गया कि उनमें हृदय-संबंधी बीमारी नहीं थी।’ तनाव अथवा हृदयाघात के शुरुआती लक्षणों के परीक्षण पर डाक्टरों ने कहा, बाद में दोनों ही बीमारियों में सांस लेने में दिक्कत होती है।
फोर्टिस एस्कार्ट इंस्टीट्यूट में प्रीवेंटिव कार्डियोलॉजी के प्रमुख डाक्टर पीयूष जैन ने बताया, कि सीने में जलन के कारण सांस लेने में तकलीफ नहीं होती है, वहीं दूसरी ओर हृदयाघात में सूजन और उलटी के लक्षण भी नहीं पाये जाते। इनका संबंध आमतौर पर सीने की जलन के मामले में होता है।
जैन ने बताया कि सीने में जलन के कारण होने वाली बेचैनी का इलाज दवाओं से किया जा सकता है और इसे पेट में एसिड के स्तर को नियंत्रित करके किया जा सकता है।
जैने ने बताया कि सीने में जलन के कारण बेचैनी होना और हृदयाघात के लक्षणों में हालांकि काफी समानतायें हैं, लेकिन चिकित्सा के संदर्भ में दोनों बीमरियों में कोई समानता नहीं है। उन्होंने बताया कि हृदयाघात निश्चित की एक बीमारी है, जबकि सीने में जलन होना उसका एकमात्र लक्षण है।