नई दिल्ली .... ऑपरेशन सिंदूर और दिल्ली में लाल किले के पास विस्फोट के बाद कई और तथ्य सामने आए हैं। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि आईएसआई भारत में आतंकवाद के लिए अब आतंकियों की भर्ती कश्मीर में करने की बजाए पाकिस्तान व बांग्लादेश में करने लगी है। ऐसा केंद्र सरकार की घाटी में बढ़ती कार्रवाई के बाद किया जा रहा है। आर्मी के सेंट्रल कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ रहे सेवानिवृत लेफ्टिनेंट जनरल रवींद्र प्रताप शाही (एवीएसएम) कहते हैं कि घाटी में पिछले कुछ वर्षों में सैन्य बलों की सख्ती के चलते पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों की कमर टूटी है। वे सख्त निगरानी के कारण लोकल रिक्रूटमेंट नहीं कर पा रहे हैं।
ऐसे में उन्होंने अब नया पैंतरा अपनाते हुए आतंकियों को बांग्लादेश व पाकिस्तान में बुलाकर प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। ये पिछले दिनों की चल रही जांच में सामने आया है। वर्ष 1983-85 व 1994-95 तक कश्मीर के अनंतनाग, पहलगाम और राजोरी में तैनात रहे ले. जनरल आरपी शाही कहते हैं कि संभव नहीं है कि महज तीन-चार माह में तीन हजार किलो विस्फोटक इकट्ठा कर लिया जाए। किसी को शक न हो इसलिए आतंकी संगठनों ने अपने मंसूबों को साकार करने के लिए डॉक्टरों को चुना। विदेशी ताकतों ने ट्रेनिंग और वित्तीय मदद की है जिसका खुलासा इंटरपोल की मदद से जल्द ही होगा। शाही कहते हैं कि जांच एजेंसियां, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की सक्रियता के चलते बड़ी साजिश नाकाम हो गई। अब सेना को एक बार फिर अपना रौद्र रूप दिखाने का वक्त आ गया है। कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव कहते हैं कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ऐसे हमले से भारत को उकसा रहा है कि वह उससे युद्ध करे। वे नहीं चाहते हैं कि भारत विकासशील से विकसित राष्ट्र बने लेकिन हमें इसका माकूल जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 शुरू किया जाए। ऐसा सबक सिखाया जाए कि आईएसआई और उसके समर्थित संगठन भविष्य में दोबारा ऐसी कोई घटना करने से पहले सौ बार सोचे।