नई दिल्ली .... भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि सेना, नौसेना और वायुसेना में तेजी से बढ़ रही संयुक्तता के बावजूद तीनों सेवाओं की अलग पहचान बनी रहेगी। पहलगाम हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर में दिखी बेहतरीन तालमेल का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि नई क्षमताएं, साझा संसाधन और तकनीक-आधारित तैयारी भारत को भविष्य के युद्धों में बढ़त दिलाएंगी, जहां जीत स्मार्ट और तेज रणनीतियों से तय होगी। बता दें कि सीडीएस चौहान ने ये बातें नई दिल्ली में 14-15 नवंबर को आयोजित इंडियन मिलिटरी हेरिटेज फेस्टिवल के एक सत्र के दौरान कही।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जनरल चौहान ने कहा कि हाल ही में हुई ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन तालमेल देखने को मिला। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 7 मई के बीच कई महत्वपूर्ण सैन्य संसाधनों को पश्चिमी सीमा की ओर शिफ्ट करना पड़ा और यह काम बेहद सहज तरीके से, सिर्फ एक स्टार रैंक के अधिकारी स्तर पर ही पूरा हो गया। सीडीएस ने बताया कि तीनों सेनाओं में समान उपकरणों, जैसे एमआरएसएएम और ब्रह्मोस का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे इंटीग्रेशन आसान होता जा रहा है। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि इन हालिया हमलों में भारतीय नौसेना ने भी हिस्सा लिया और अपने पीएएलएम-400 व पीएएलएम-120 जैसे लंबी दूरी वाले घूमते हुए गोला-बारूद का इस्तेमाल किया। दिलचस्प बात यह रही कि यह क्षमता सेना और वायुसेना को पहले पता नहीं थी, लेकिन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (आईडीएस) के पास यह जानकारी थी। भविष्य की तैयारी पर चर्चा करते हुए सीडीएस ने कहा कि थियेटर कमांड्स बनने पर संयुक्त हेडक्वॉर्टर में स्टाफ भी संयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि एक ‘जॉइंट कल्चर’ विकसित हो सके। उन्होंने युद्ध के बदलते स्वरूप पर भी बात की और कहा कि मानव भूगोल को समझना उतना ही आवश्यक है जितना भौगोलिक भूगोल, खासकर आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने में। सीडीएस के मुताबिक भावी युद्ध में जीत उन्हीं की होगी जो नए क्षेत्रों, जैसे अंतरिक्ष और तकनीकी डोमेन में असमानताएं पैदा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि पारंपरिक युद्ध हमेशा कठिन और ज्यादा नुकसान वाला होगा, जबकि नए क्षेत्रों में युद्ध तेज, स्मार्ट और तकनीक आधारित होगा।