नई दिल्ली ... राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रौद्योगिकी संस्थानों के छात्रों से कहा है कि उन्हें आविष्कार करते समय इस बात पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि समाज पर इसका कितना सकारात्मक प्रभाव होगा और इसकी उपयोगिता क्या होगी।
मुर्मु ने बुधवार को यहां राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि एनआईटी बहु-विषयी शिक्षा, नवोन्मेष, अनुसंधान, उद्यम क्षेत्रों के साथ सहयोग और कौशल-जनित शिक्षा को बढ़ावा देकर छात्रों को भविष्योन्मुखी आवश्यकताओं की दिशा में सक्षम बना रहा है। राष्ट्रपति मुर्मू ने विद्यार्थियों से हमेशा सीखते रहने, अनुसंधान जारी रखने और नवोत्पाद के उपाय तलाशने का आह्वान किया। उन्होंने कहा ,’ उनमें नई तकनीक विकसित करने का साहस होना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से यह याद रखने को कहा कि सच्ची प्रगति का पैमाना केवल आविष्कार नहीं, बल्कि समाज के लिए उसकी सकारात्मक उपयोगिता है। चाहे वे स्थायी ऊर्जा प्रणालियां विकसित करें, सुलभ तकनीक निर्मित करें या ग्रामीण क्षेत्र और अत्यंत वंचित समुदायों के लिए जीवन उपयोगी समाधान विकसित करें, उनके विचारों और कार्यों से सामाजिक असमानताओं में कमी आनी चाहिए और लोगों के जीवन में नई आशा का संचार होना चाहिए। मुर्मू ने कहा कि उद्यमशीलता और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए शुरू किये गये स्टार्ट-अप केंद्र से विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन और नेटवर्किंग के अवसर मिल रहे हैं। संस्थान में बनाये गये इनक्यूबेशन सेंटर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह नये विचारों को व्यवहार्य व्यवसायों में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक सुविधाएं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास से छात्र सशक्त बनेंगे और स्वरोजगार की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। मुर्मू ने विकसित भारत के लक्ष्य का जिक्र करते हुए कहा कि यह आर्थिक प्रगति तक सीमित नहीं है बल्कि इसमें समावेशी विकास, प्रौद्योगिकीय प्रगति, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास भी शामिल है। राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, स्किल इंडिया, सुगम्य भारत अभियान और उन्नत भारत अभियान जैसी सरकार की पहल से पता चलता है कि जनभागीदारी के साथ भारत अपने लक्ष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है। उन्होंने कहा इन प्रयासों का उद्देश्य एक ऐसा भारत बनाना है जहां हर नागरिक को समान अवसर और सम्मान मिले तथा व्यक्तिगत प्रतिभा को आगे बढ़ने के लिए अनुकूल माहौल प्राप्त हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि एनआईटी जैसे उच्च प्रौद्योगिकी शिक्षण संस्थान ‘मॉडल डिजिटल विलेज’ स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस तरह के शिक्षण संस्थान सुगम प्रौद्योगिकी समाधान विकसित कर सकते हैं और लोगों को डिजिटल कौशल प्रवीण बना सकते हैं। साथ ही वे गांवों में भी बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए उद्योगों के साथ समन्वित रूप से काम कर सकते हैं।