लखनऊ से हिंदी एवं उर्दू में एकसाथ प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र
ताजा समाचार

समाचार विवरण

डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट

मीडिया हाउस, 16/3 'घ', सरोजिनी नायडू मार्ग, लखनऊ - 226001
फ़ोन : 91-522-2239969 / 2238436 / 40,
फैक्स : 91-522-2239967/2239968
ईमेल : dailynewslko@gmail.com
ई-पेपर : http://www.dailynewsactivist.com

राज्यपाल विधानसभा से पास बिलों को न लटकाएं, सुप्रीम कोर्ट बोला
राज्यपाल विधानसभा से पास बिलों को न लटकाएं, सुप्रीम कोर्ट बोला
एजेंसी    20 Nov 2025       Email   

नई दिल्ली ... सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को राष्ट्रपति के उस संदर्भ पर अपना फैसला सुनाया है, जिसमें पूछा गया था कि क्या कोई सांविधानिक अदालत, राज्य विधानसभाओं से पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय-सीमा तय कर सकती है। इस मामले में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की संविधान पीठ ने 10 दिनों तक दलीलें सुनीं और 11 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों पर अनुमोदन देने के लिए न्यायपालिका कोई समयसीमा तय नहीं कर सकती। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने राष्ट्रपति की तरफ से अनुच्छेद 143 के तहत भेजे गए 14 संवैधानिक प्रश्नों पर अपनी राय देते हुए कहा कि यह विषय संवैधानिक पदाधिकारियों के विवेक और संघीय ढांचे की मर्यादा से जुड़ा है। अदालत ने माना कि विधायी प्रक्रिया में राष्ट्रपति और राज्यपाल की भूमिका ‘संवैधानिक कर्तव्य’ है, पर न्यायिक हस्तक्षेप के जरिए इसकी समय सीमा तय नहीं की जा सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि अत्यधिक देरी लोकतांत्रिक शासन की आत्मा को क्षति पहुंचाती है, इसलिए इन पदों से अपेक्षा है कि वे उचित समय के भीतर निर्णय लें। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मई में संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी थी। उन्होंने पूछा था कि क्या न्यायालय यह तय कर सकता है कि राष्ट्रपति या राज्यपाल को बिलों पर कब तक निर्णय लेना चाहिए। राष्ट्रपति ने अपने पांच पन्नों के संदर्भ पत्र में 14 सवाल रखे हैं, जिनका जवाब सुप्रीम कोर्ट से मांगा गया है। यह सवाल मुख्य रूप से अनुच्छेद 200 और 201 से जुड़े हैं, जिनमें राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों का जिक्र है। 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा से पास हुए बिलों पर फैसला देते हुए पहली बार यह कहा था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल की तरफ से भेजे गए किसी भी बिल पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। यह फैसला अपने आप में ऐतिहासिक माना गया क्योंकि इससे पहले ऐसी कोई समय सीमा तय नहीं थी। 






Comments

अन्य खबरें

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना स्पीकर को भेजा अवमानना नोटिस, बीआरएस विधायकों की अयोग्यता का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना स्पीकर को भेजा अवमानना नोटिस, बीआरएस विधायकों की अयोग्यता का मामला

नई दिल्ली ... सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बीआरएस विधायकों के अयोग्यता मामले पर तेलंगाना के स्पीकर को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह नोटिस, विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने के निर्देश का पालन न करने

रुपया पांच पैसे मजबूत
रुपया पांच पैसे मजबूत

मुंबई.... अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया शुक्रवार को 4.75 पैसे की मजबूती के साथ 88.66 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया। इससे पहले लगातार दो कारोबारी दिवस पर भारतीय मुद्रा कमजोर हुई थी। गुरुवार को

दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन तंत्र हो रहा मजबूत : रेखा गुप्ता
दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन तंत्र हो रहा मजबूत : रेखा गुप्ता

लीड नयी दिल्ली.... दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के स्वच्छ तथा आधुनिक सार्वजनिक परिवहन तंत्र को और मजबूत बनाते हुए आज दिल्ली के इलेक्ट्रिक बस बेड़े में 50 नयी

बिहार में विश्वास, विकास और सुशासन की प्रचंड जीत : आठवले
बिहार में विश्वास, विकास और सुशासन की प्रचंड जीत : आठवले

नयी दिल्ली... रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-राजग को मिली प्रचंड जीत को