नई दिल्ली .... दिल्ली ब्लास्ट की जांच में सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया हैं। सूत्रों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी मॉड्यूल कश्मीर के अस्पतालों को हथियारों का ठिकाना बनाने की कोशिश कर रहा था। यह तरीका हमास की रणनीति से मिलता-जुलता है, जो नागरिक इलाकों और अस्पतालों को हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करता है।
ऐसा माना जा रहा है कि इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए शुक्रवार को भी गांदरबल और कुपवाड़ा जिलों के कई सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के लॉकर्स की तलाशी ली गई। यह तलाशी अभियान बुधवार से ही जारी है। पूर्व डीजीपी बोले आतंकी 1990 में अस्पतालों का हथियारों के ठिकाने के रूप में इस्तेमाल करते थे। जिसके बाद आर्मी और पुलिस ने इसे पूरा क्लीन किया था। अब फिर अस्पतालों को ठिकाना बनाया जा रहा था। जांच एजेंसियां अब यह पता लगा रही हैं कि इस मॉड्यूल ने कितने अस्पतालों को ठिकाना बनाने की कोशिश की और हथियारों की सप्लाई चेन कहां तक फैली हुई थी। दिल्ली ब्लास्ट के बाद से ही एनआईए और स्थानीय पुलिस इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने में लगी है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान से जैश के हैंडलर हंजुल्ला ने दिल्ली धमाके के आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई को बम बनाने के 40 वीडियो भेजे थे। दोनों को जम्मू के शोपियां का रहने वाले मौलवी इरफान अहमद ने मिलवाया था। इसके बाद व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल तैयार किया था और कई डॉक्टर्स को इससे जोड़ा गया।
दिल्ली ब्लास्ट में लोकल कनेक्शन की जांच करेगी एसआईटी : दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों के निशाने पर आई फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर शिकंजा कस गया है। फरीदाबाद पुलिस ने भी एसीपी क्राइम वरुण दहिया की अगुआई में एसआईटी बना दी है। यह टीम दिल्ली ब्लास्ट के लोकल कनेक्शन की जांच करेगी। वहीं, मनी लॉन्डि्रंग और टेरर फंडिंग के आरोपों के बारे में तथ्यों को जानने के लिए ईडी से गिरफ्तार चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को यूनिवर्सिटी कैंपस लाने की तैयारी में है। जिससे फंडिंग और गलत तरीके से स्टूडेंट्स से ली है फीस को लेकर जानकारी ली जाएगी। तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर में आरोपी जसीर बिलाल वानी के पिता द्वारा आग लगाकर सुसाइड करने के बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अपनी जांच स्ट्रेटजी बदल दी है।