नयी दिल्ली.... भारत ने ब्राजील के बेलेम में जलवायु वित्त के मुद्दे को सामने लाने में सीओपी प्रेसीडेंसी के प्रयासों की सराहना की और उम्मीद जतायी कि जलवायु संरक्षण के मुद्दे पर पूरी दुनिया रियो में 33 वर्ष पहले किये वादों को प्रतिबद्धता के साथ पूरा करेगी।
भारत ने यूएनएफसीसीसी सीओपी30 के समापन पूर्ण सत्र में उच्चस्तरीय वक्तव्य में सीओपी30 प्रेसीडेंसी के समावेशी नेतृत्व का पूरा समर्थन किया और सम्मेलन में लिए गए निर्णयों का स्वागत किया। भारत ने सीओपी अध्यक्ष के नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यह सम्मेलन समावेसिता, संतुलन पर आधारित रहा और उसने सीओपी30 का ईमानदारी से मार्गदर्शन किया।
सम्मेलन में भारत ने जलवायु वित्त प्रदान करने हेतु विकसित देशों के दीर्घकालिक दायित्वों पर जोर दिया और कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भावना से पूरी उम्मीद है कि 33 वर्ष पहले रियो में किए गए वादे अब बेलेम में उठाए गए शुरुआती कदमों के कारण पूरे होंगे। इसके साथ ही भारत ने सीओपी30 के न्यायसंगत बदलाव तंत्र की स्थापना प्रमुख परिणामों पर संतोष व्यक्त किया और इसे सम्मेलन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताते हुए उम्मीद जताई कि इससे वैश्विक और राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर समता तथा जलवायु न्याय को क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी।
विज्ञान-आधारित न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारत की तरफ से एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी जो नियम-आधारित तथा न्यायसंगत हो और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करती हो। इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध व्यक्त की गयी जिसमें जलवायु संबंधी आकांक्षाएं समावेशी और न्यायसंगत हों।
भारत ने एकतरफा व्यापार- प्रतिबंधात्मक जलवायु उपायों पर चर्चा के लिए मौका देने के लिए प्रेसीडेंसी का आभार जताते हुए कहा कि ये उपाय सभी विकासशील देशों को तेजी से प्रभावित कर रहे हैं और कन्वेंशन तथा पेरिस समझौते में निहित समता एवं सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं। वक्तव्य में इस बात पर जोर दिया गया कि इन मुद्दों को अब और अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसमें आगे कहा गया कि विभिन्न पक्षों ने इस प्रवृत्ति को उलटने की शुरुआत कर दी है।