नयी दिल्ली .जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के मद्देनजर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिक टमाटर की एक ऐसी किस्म विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे विपरीत परिस्थितियों में भी किसान प्रति पौधा 20 से 25 किलोग्राम टमाटर की पैदावार कर अपनी आय में भारी वृद्धि कर सकें ।
परिषद के कर्नाटक स्थित भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) हेसरघट्टा, जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में आ रहे उतार चढाव , अधिक वर्षा और सूखे की समस्या तथा बीमारियों के बढ़ते प्रकोपों को देखते हुए टमाटर की तीन -चार उच्च उत्पादकता वाले संकर किस्मों के विकास का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है जिसे किसानों को खेती के लिए किसी भी समय जारी किया जा सकता है ।
संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक टी एच सिंह ने हाल में दिल्ली से गये संवाददाताओं को बताया कि तीन चार साल पहले आईआईएचआर ने प्रति पौधा 19 किलो पैदावार देने वाले टमाटर की अर्क रक्षक किस्म को खेती के लिए जारी किया था ।
कर्नाटक के कई प्रगतिशील किसान अपने खेतों में अर्क रक्षक से प्रति पौधा 19 किलो पैदावार ले रहे हैं जिनमें चन्द्रपा प्रमुख हैं ।
टमाटर की अन्य किस्मों की पैदावार प्रति एकड़ 50 टन तक ली जाती है जबकि अर्क रक्षक की पैदावार आदर्श स्थिति में 78 टन तक ली गयी है ।
डा सिंह ने बताया कि अर्क रक्षक मध्यम आकार का है और इसके एक फल का वजन 80 से 100 ग्राम के बीच होता है।
वैज्ञानिक जिस नयी किस्म का विकास कर रहे हैं उसका वजन 120 ग्राम करने का प्रयास किया जा रहा है ।
इसके साथ ही ऊष्मा प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ।
अभी जो टमाटर की किस्में हैं वो 30 से 35 डिग्री तापमान को सहन कर सकते हैं और अच्छी पैदावार देते हैं लेकिन नयी किस्म 40 डिग्री तापमान में भी बेहतर पैदावार देंगे ।
नयी किस्म को वायरस के कारण होने वाली बीमारी ‘टास्पों ’प्रतिरोधी भी बनाया जा रहा है ।