नयी दिल्ली 27 जून अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की एक सलाहकार कंपनी ने भारत के सौर ऊर्जा संयंत्र के उपकरणों के लिए आयात पर खासकर चीन पर अत्यधिक निर्भरता के मद्देनजर इस क्षेत्र के घरेलू उद्योगों को बढावा देने की वकालत की है ।
‘ब्रिज टू इंडिया ’ के अनुसार देश में वर्ष 2016-17 के दौरान सौर ऊर्जा संयंत्रों के करीब 89 प्रतिशत उपकरणों का आयात किया गया जिनकी कीमत लगभग तीन अरब डालर थी ।
विश्व में सौर उपकरणों के निर्माण में चीन का प्रभुत्व है और उसने सोलर पीवी में प्रौद्योगिकी उन्नयन में बाजार पर नियंत्रण की कोशिश के तहत विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है ।
चीन पर पूरी तरह निर्भरता भारतीय सौर ऊर्जा क्षेत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है ।
वहां की सरकार की नीतियों में बदलाव से या आपूर्ति श्रृंखला में बाधा होने पर समस्या पैदा हो सकती है ।
इसलिए केंद्र सरकार को सौर ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए घरेलू उद्योगों को बढावा देने के लिए अल्पकालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक उपाय करने चाहिए ।
चीन सोलर पीवी में विश्व बाजार में प्रभुत्व जमाने के लिए इनके निर्माण में अपने घरेलू उद्योगों को अरबों डालर की सब्सिडी तथा अन्य तरह की मदद दे रहा है ।
इसकी बदौलत इनके निर्माण की क्षमता 2013 के 23 गीगावाट से बढकर 70 गीगावाट हो गयी है ।
सोलर पीवी प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए उसने ‘टाप रनर ’नाम का खास कार्यक्रम शुरू किया है ।
सौर ऊर्जा क्षेत्र में केंद्र सरकार की प्राथिमकता उत्पादन क्षमता बढाने और सौर ऊर्जा की कीमतों में कमी करने पर रही है।
कंपनी का कहना है कि सरकार की इस प्राथमिकता से सोलर पीवी निर्माता घरेलू उद्योगों को नुकसान पहुंच रहा है क्योंकि वे चीन से आयातित उपकरणों से प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पा रहे हैं ।
भारत ने 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है ।