नयी दिल्ली। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने उद्योग जगत के दिग्गज नेता रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए गुरुवार को कहा कि टाटा समूह के मानद चेयरमैन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिसने भारतीय व्यापार और परोपकार के परिदृश्य को अमिट आकार प्रदान किया है। उद्योग मंडल ने कहा कि “टाटा संस के मानद चेयरमैन श्री रतन टाटा एक उत्कृष्ट परोपकारी व्यक्ति थे। अपने नेतृत्व में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि संसाधनों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाया जाए, जिससे पूरे भारत में लाखों लोगों की जिंदगी खुशहाल हो। बाद के वर्षों में स्टार्टअप्स में उनके व्यक्तिगत निवेश और युवा उद्यमियों को सलाह देने से देश में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।
फिक्की ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा कि भारतीय उद्योग जगत में रतन टाटा का योगदान उद्यमिता, स्टार्ट-अप और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी में विशेष योगदान माना जाता है। इसमें कहा गया कि “2014 में यूनाइटेड किंगडम से मानद नाइटहुड (जीबीई) की उपाधि प्राप्त करना उनके वैश्विक कद को दर्शाता है। उनका रणनीतिक कौशल नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति उनके समर्पण से मेल खाता था। फिक्की ने कहा कि 1991 से 2012 तक टाटा समूह के शीर्ष पर उनके कार्यकाल में टाटा कंपनी बड़े पैमाने पर घरेलू इकाई से वैश्विक पावरहाउस में परिवर्तन हुई, जिसने वैश्विक मंच पर भारतीय व्यवसायों के लिए नए मानक स्थापित किए।
फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह ने कहा, “फिक्की श्री रतन टाटा को न केवल एक सफल व्यवसायी के रूप में, बल्कि एक आदर्श के रूप में याद करता है, जिन्होंने ईमानदारी, विनम्रता और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल्यों को अपनाया। नैतिक पूंजीवाद के उनके दृष्टिकोण और समाज को लाभ पहुंचाने के लिए व्यवसाय को एक शक्ति के रूप में उपयोग करने के उनके प्रयासों ने उद्यमियों और कॉर्पोरेट नेताओं की पीढ़ियों को प्रेरित किया है।