नयी दिल्ली.... उच्चतम न्यायालय ने ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोपी अशोका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ हरियाणा के विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच प्रक्रिया पर बुधवार को गंभीर सवाल उठाए और कहा कि यह गलत दिशा में जा रही है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने प्रोफेसर महमूदाबाद को बार-बार बुलाने पर सवाल उठाए और आगे बुलाने पर रोक लगाते हुए एसआईटी से कहा कि “आपको उनकी नहीं, बल्कि एक शब्दकोश की जरूरत है।”
पीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने के लिए फिर से बुलाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने शीर्ष अदालत के आदेश पर गठित एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता वाली एसआईटी को प्रोफेसर के खिलाफ उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में दर्ज दो मुकदमों तक ही अपनी जांच सीमित रहने का निर्देश दिया।
पीठ ने एसआईटी से कहा कि वह जांच करे कि क्या कोई अपराध हुआ है और चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
पीठ ने कहा, “हम पूछ रहे हैं कि एसआईटी पहली नज़र में ही गलत दिशा में क्यों जा रही है? उन्हें पोस्ट की विषय-वस्तु की जांच करनी चाहिए थी।”
राज्य सरकार के एक अधिवक्ता ने जानना चाहा कि क्या प्रोफ़ेसर को किसी भी समय जांच में शामिल होने के लिए कहा जा सकता है।
पीठ ने कहा, “आपको उनकी ज़रूरत नहीं है, आपको एक शब्दकोश की ज़रूरत है।”
शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि जांच का दायरा केवल दो मुकदमों तक सीमित है और यह स्पष्ट किया कि प्रोफेसर विचाराधीन मामले के अलावा किसी भी विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र हैं।
आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके मुवक्किल से पिछले 10 वर्षों में उनके द्वारा की गई यात्राओं के बारे में भी पूछताछ की गई। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि जांच सही दिशा में होनी चाहिए।
अदालत ने बताया कि एसआईटी का उद्देश्य प्रयुक्त वाक्यांशों की समग्र समझ और दोनों सोशल मीडिया पोस्ट में निहित भावों की उचित समझ पर ध्यान केंद्रित करना था।
पीठ ने कथित गलत दिशा में जांच के सवाल पर कहा, “हम एसआईटी को अपने 28 मई के आदेश में दिए गए निर्देशों की याद दिलाते हैं।”
याचिकाकर्ता को मई में ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग के लिए कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सरकार द्वारा चुने जाने पर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें शीर्ष अदालत ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह अपने खिलाफ मामले के संबंध में कोई लेख नहीं लिखेंगे। संबंधित मामले में कोई ऑनलाइन पोस्ट अपलोड नहीं करेंगे या कोई भाषण नहीं देंगे। साथ ही, वह पहलगाम हमले या ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी करने से भी परहेज करेंगे।
अदालत ने अलावा उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया था।