नयी दिल्ली,.... सरकार ने रूसी मां के साथ गायब उसके पांच साल के बेटे के मामले में शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा कि लगता है कि महिला भारत छोड़कर कहीं चली गई हैं।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि महिला ने देश छोड़कर जाने के संबंध में संबंधित विभाग को सूचित नहीं किया है। उन्होंने अदालत को बताया कि मां-बेटे का पता लगाने के लिए लुकआउट सर्कुलर, वायरलेस संदेश आदि जारी किए गए हैं। ये संदेश पूरे देश में प्रसारित किए गए हैं।
सुश्री भाटी ने अदालत को यह भी बताया कि महिला के बैंक खाते में 200 रुपये से भी कम राशि है। उसने पांच जुलाई को रूसी दूतावास से संपर्क करके पति के बारे में शिकायत की थी। दूतावास के अधिकारी ने महिला से दिल्ली पुलिस के पास जाने की सलाह दी थी। उन्होंने बताया कि महिला के मोबाइल नंबर के कॉल डेटा रिकॉर्ड प्राप्त कर लिए गए हैं। उनका विश्लेषण किया जा रहा है। इसके अलावा, उसके सोशल मीडिया अकाउंट तक पहुंचने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को बताया रूसी दूतावास भारतीय अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रहा है। उसने स्वयं इस मामले में व्हाट्सएप पर एक संदेश जारी किया है।
शीर्ष न्यायालय के यह कहने पर कि रूसी दूतावास के कुछ अधिकारियों की निजी स्तर पर मिलीभगत हो सकती है, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यहां के अधिकारी इसकी जांच करने का प्रयास करेंगे।
न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने मां-बेटे को ढूंढकर बिना शर्त उसके पिता को सौंपने का गुरुवार को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में आदेश पारित करते हुए विदेश और गृह मंत्रालय को रूसी महिला को भारत छोड़ने से रोकने के उपाय के तौर पर 'लुक-आउट' नोटिस जारी करने और उसका पासपोर्ट तुरंत जब्त करने का भी निर्देश दिया था।
सर्वोच्चय न्यायालय ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे रूसी दूतावास के अधिकारियों के साथ समन्वय करके उस राजनयिक के आवास पर जाएं, जिसे आखिरी बार मां-बच्चे के साथ देखा गया था।
शीर्ष अदालत ने कड़े निर्देश जारी करने के साथ ही चेतावनी दी थी कि जरूरत पड़ने पर दूतावास के संबंधित अधिकारियों सहित सभी संबंधित लोगों के खिलाफ कानून अपना काम करेगा।
सुनवाई के दौरान जब पीठ ने याचिकाकर्ता की पत्नी के वकीलों से उसके ठिकाने के बारे में पूछा तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई, जिससे अदालत ने उनकी ईमानदारी पर भी सवाल उठाया।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा था, "आप लोग सब कुछ जानते हैं... आपको लगता है कि आप हमारे साथ शरारत कर सकते हैं? हम सिर्फ़ याचिकाकर्ता ही नहीं, बल्कि संबंधित वकीलों भी सवाल उठाएंगे। आप हमारे द्वारा उचित समय पर दिए जाने वाले आदेशों का इंतज़ार करें।"
दंपति के बेटे का जन्म 2020 में भारत में हुआ था।
शीर्ष अदालत के पहले के निर्देशों के अनुसार माता-पिता, बच्चे की संयुक्त अभिरक्षा के साथ दिल्ली में अलग-अलग आवासों में रह रहे थे। अदालत के (22 मई के) आदेश के अनुसार, माँ को सप्ताह में तीन दिन बच्चे को अपने साथ रखने का निर्देश दिया था, जबकि अन्य दिनों के लिए पिता को। पिता ने हालाँकि, हाल ही में अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि सात जुलाई से (स्कूल के समय के बाद) उनकी पत्नी का कोई पता नहीं चल रहा है। उससे संपर्क करने के उसके प्रयास विफल रहे और बच्चा स्कूल और मेडिकल जाँच, दोनों से वंचित हो रहा है। पिता ने यह भी आरोप लगाया कि चार जुलाई को उसे एक रूसी राजनयिक के साथ पिछले दरवाजे से रूसी दूतावास में प्रवेश करते देखा गया था, जिसके साथ उसके कथित तौर पर संबंध हैं।
इसके बाद अदालत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रूसी दूतावास के अधिकारी किसी भी अपराध में शामिल पाए जाते हैं तो कानून उनके खिलाफ भी अपना काम करेगा।