नयी दिल्ली... विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को चिंता का विषय बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार पर जोर दिया और उम्मीद जतायी है कि ब्रिक्स सामूहिक रूप से इस बहुप्रतीक्षित बदलाव के लिए अपनी बात मजबूती से रखेगा।
डा. जयशंकर ने सोमवार को ब्राजील में ब्रिक्स नेताओं की बैठक में वर्चुअल माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से हिस्सा लेते हुए व्यापार के मोर्चे पर दुनिया में मची उथल पुथल के परिप्रेक्ष्य में टिकाऊ व्यापार के लिए रचनात्मक और सहयोग के दृष्टिकोण पर बल दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली में विकासशील देशों के हितों की रक्षा किये जाने की भी जरूरत बतायी। उन्होंने दुनिया के अनेक हिस्सों में चल रहे संघर्षों के जल्द समाधान को भी समय की जरूरत बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि गैर व्यापारिक मामलों को व्यापार मामलों से अलग रखा जाना चाहिए।
विदेश मंत्री ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को चिंता का विषय बताते हुए कहा कि कोविड महामारी के विनाशकारी प्रभाव, यूक्रेन और पश्चिम एशिया में बड़े संघर्ष, व्यापार और निवेश प्रवाह में अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्य के एजेंडे में स्पष्ट रूप से मंदी देखी गई है
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन चुनौतियों के सामने बहुपक्षीय व्यवस्था विफल होती दिख रही है। इन तनावपूर्ण मुद्दों का समाधान न होना चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश इन घटनाक्रमों से गहराई से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने इनके समाधानों की दिशा में प्रयास करता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विश्व व्यवस्था को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना उचित है लेकिन यह भी उतना ही ज़रूरी है कि हम मौजूदा संघर्षों पर भी ध्यान दें क्योंकि इनका विकास और आपूर्ति श्रृंखला पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भी बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधारों पर विचारों का आदान प्रदान किया जाना जरूरी है।
डा. जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आर्थिक व्यवहार निष्पक्ष, पारदर्शी और सभी के हित में होना चाहिए और सभी को बाधाओं के प्रभावों से बचाया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए अधिक लचीली, विश्वसनीय, और छोटी आपूर्ति श्रृंखलाओं की जरूरत बतायी।
विदेश मंत्री ने कहा कि व्यापार पैटर्न और बाज़ार पहुँच आज वैश्विक आर्थिक विमर्श में प्रमुख मुद्दे हैं। दुनिया को टिकाऊ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। बढ़ती बाधाएँ और लेन-देन को जटिल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि गैर-व्यापारिक मामलों को व्यापार मामलों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स अपने सदस्य देशों के बीच व्यापार प्रवाह की समीक्षा करके एक उदाहरण स्थापित कर सकता है। उन्होंने कहा, “ जहाँ तक भारत का संबंध है, हमारे कुछ सबसे बड़े घाटे ब्रिक्स भागीदारों के साथ हैं और हम शीघ्र समाधान के लिए दबाव डाल रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह आज की बैठक के निष्कर्षों का हिस्सा होगा।”
उन्होंने कहा कि भारत को विश्वास है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रणाली विकासशील देशों के लिए विशेष और निष्पक्ष व्यवहार के साथ खुले, निष्पक्ष, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण, समावेशी, न्यायसंगत और नियम-आधारित दृष्टिकोण के मूलभूत सिद्धांतों का संरक्षण करेगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि विश्व भर में संघर्षों का तत्काल समाधान भी समय की जरूरत है। उन्होंने कहा, “ वैश्विक दक्षिण ने अपनी खाद्य, ऊर्जा और उर्वरक सुरक्षा में गिरावट का अनुभव किया है। जहाँ नौवहन को निशाना बनाया जाता है, वहाँ न केवल व्यापार बल्कि आजीविका भी प्रभावित होती है। शत्रुता का शीघ्र अंत और एक स्थायी समाधान सुनिश्चित करने के लिए कूटनीति करना हमारे सामने स्पष्ट मार्ग है।”
डा. जयशंकर ने पिछले कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कामकाज में कई क्षेत्रों में कमियों का उल्लेख करते हुए कहा, “ दुर्भाग्य से, प्रमुख मुद्दों पर गतिरोधों ने साझा आधार की तलाश को कमज़ोर कर दिया है। इन अनुभवों ने सामान्य रूप से बहुपक्षीय व्यवस्था विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और उसकी सुरक्षा परिषद में सुधार की ज़रूरत को और भी ज़रूरी बना दिया है। ब्रिक्स ने सुधार की इस ज़रूरत को सकारात्मक रूप से लिया है और हमें उम्मीद है कि यह सामूहिक रूप से बहुप्रतीक्षित बदलाव की एक मज़बूत आवाज़ बनेगा।”
उन्होंने कहा कि हमें बड़ी चिंताओं, खासकर जलवायु परिवर्तन, को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। दुर्भाग्य से, जलवायु कार्रवाई और जलवायु न्याय, दोनों ही वर्तमान में वैश्विक प्राथमिकताओं में पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा , “ हमें नई सोच और पहल की भी ज़रूरत है। मैं अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी बुनियादी ढाँचे के लिए गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन के विचार के लिए उनकी सराहना करता हूँ।”