वाराणसी। अखिल भारतीय सारस्वत परिषद द्वारा इस वर्ष का प्रतिष्ठित 'भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय प्रज्ञा सम्मान' प्रख्यात शिक्षाविद और प्रशासक प्रो. डॉ. मनोज दीक्षित को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान शिक्षा, राष्ट्र निर्माण, और नैतिक मूल्यों एवं वैदिक ज्ञान के प्रसार में उनके योगदान के लिए दिया गया है।
प्रो. डॉ. मनोज दीक्षित वर्तमान में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान के कुलपति के रूप में कार्यरत हैं और केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, भटिंडा की कार्यकारी परिषद में विजिटर के प्रतिनिधि हैं। उनका व्यापक शैक्षणिक और प्रशासनिक अनुभव विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों और पदों पर फैला हुआ है, जिससे उनकी शिक्षा और सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण स्पष्ट होता है।
डॉ. दीक्षित की उल्लेखनीय सेवा में मई 2017 से जुलाई 2020 तक डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति के रूप में कार्यकाल शामिल है। इसके पूर्व, उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में कई कार्यकाल पूरे किए, जो भारत के सबसे पुराने विभागों में से एक है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में पर्यटन अध्ययन संस्थान, डॉ. जी.एल. गुप्ता जन स्वास्थ्य संस्थान, और डॉ. एस.डी. शर्मा लोकतंत्र संस्थान के निदेशक के रूप में भी अपनी सेवाएँ दीं। 2011 से 2014 तक वे मान्यवर कांशीराम पर्यटन प्रबंधन संस्थान के मानद निदेशक रहे, जो उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है।
10 नवंबर 2024 को वाराणसी के वैदिक विज्ञान केंद्र के व्याख्यान कक्ष में आयोजित इस पुरस्कार समारोह में देशभर से आए विद्वानों और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही। परिषद ने डॉ. दीक्षित के अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने और युवाओं में सामाजिक मूल्यों को प्रेरित करने में उनके योगदान की सराहना की। उनके शैक्षणिक और प्रशासनिक क्षेत्र में किए गए कार्य शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने का एक आदर्श उदाहरण हैं।
परिषद के अन्य सदस्यों ने भी डॉ. दीक्षित के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया और समाज में उनके जैसे समर्पित शिक्षाविदों की आवश्यकता पर जोर दिया। शिक्षा संस्थानों में उनके प्रभाव और सामाजिक प्रगति के प्रति उनकीप्रतिबद्धता छात्रों, विद्वानों और समाज के नेताओं को प्रेरणा प्रदान करती है।