गाजीपुर। ‘डिस्ट्रिक एक्साइज ऑफिस’ (जिला आबकारी कार्यालय) और पुलिस प्रशासन इस बात से ‘क्या’ बेखर है कि उसकी नाक के नीचे जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में 13 अवैध भांग की दुकानें संचालित हो रही है। यही नहीं इन भांग की दुकानों पर बेखौफ होकर गांजा की ब्रिकी की जा रही है। इस अवैध ध्ंाधे से जुड़े सूत्रों की माने तो सिर्फ एक दुकान से रोजना 10 हजार रुपये से अधिक का धंधा होता है। यदि 13 दुकानों का आंकड़ा 10 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी जोड़ा जाये तो 1 लाख 30 हजार रुपये प्रति माह का काला धंधा इन दुकानों से हो रहा है। यदि यह आंकड़ा वर्ष के हिसाब से जोड़े तो अवैध धंधा करोड़ों में पहुंच जाता है। अब सवाल यह उठता है कि करोड़ों की हेराफेरी हो और आबकारी विभाग व पुलिस प्रशासन से जुड़े लोगों की इसकी भनक तक न हो यह कैसे सम्भव है! इस सवाल का जबाब अवैध धंधे से जुड़े लोगों के पास ही है। इस धंधे से लोगों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा कहां-कहां जाता है यह बताने की जरुरत नहीं है क्योकि ‘समझदार लोगों के लिए इशारा ही काफी होता है’। सूत्रों के मुताबिक इन सभी 13 अवैध भांग की दुकानों को संचालित करने वाले लोग काफी ऊची पहुंच वाले है। जिस दुकान से रोजना 10 हजार रुपये से भी अधिक की शुद्ध कमाई हो रही हो उसे संचालित करने वाला व्यक्ति कोई मामूली इंसान नहीं होगा क्योकि यदि वह मामूली होता तो इस अवैध धंधे से जुड़ने की हिम्मत नहीं कर पाता। विभागीय सूत्रों के अनुसार सभी दुकानों को कुछ खास जगहों पर खोला गया है वहां बाहर ‘सरकारी भांग की दुकान’ का बोर्ड भी नहीं लगाया गया है। ऐसा नहीं है कि अवैध भांग की दुकानों की जानकारी सम्बंधित थानों के पुलिसकर्मियों को नहीं है, लेकिन किसी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।
अवैध दुकानों की लिस्ट
भांवरकोल (वीआईपी), मुहम्मदाबाद तहसील, बरेसर बाजार में, मटेंहू, बरही, महाहर मंदिर के समीप, दिलदारनगर स्टेशन (वीआईपी), बाराचवर, मटवां, सादात रेलवे स्टेशन (वीआईपी), जखनियां स्टेशन (वीआईपी), बहरियाबाद व नंदगंज बाजार (वीआईपी)
कोड वर्ड है वीआईपी दुकान
आबकारी विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो जिन अवैध भांग की दुकानों की प्रतिदिन की ब्रिकी 10-15 हजार रुपये के अधिक की है उन दुकानों की नाम ‘वीआईपी दुकान’ रखा गया है। विभाग के कई जिम्मेदार कर्मचारी इस कोडवर्ड को जानते है। बताते चले कि यह 13 अवैध भांग की दुकान वर्ष 2017 से ही संचालित हो रही है। भले ही विभाग ‘लॅाट्री सिस्टम’ यह कोई और सिस्टम लागू कर ले, लेकिन यह 13 दुकानें न तो बंद हुई है और न ही बंद हो सकती है। क्योकि इन दुकानों के संचालित होने से आबकारी व पुलिस विभाग से जुड़े कुछ खास लोगों को अच्छी खासी इनकम हो रही है।
इनसेट
सूत्रों के मुताबिक इन 13 अवैध भांग की दुकानों पर डिबरुगढ़ समेत बिहार और गोरखपुर से गांजा लाया जाता है। भांवरकोल व नंदगंज स्थित वीआईपी दुकान पर तो नेपाल से भी गांजा मंगाकर बेचा जाता है। सूत्रों के अनुसार इन सभी दुकानों पर नाममात्र भांग की बिक्री होती है। इन दुकानों की असली कमाई तो गांजा बेचने से ही होती है।
वर्जन
मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं अभी नहीं आया है। मीडिया के जरिये ही मुझे यह जानकारी हुई है। यह अत्यंत गम्भीर मामला है। इसकी जांच कराई जायेगी। विभाग द्वारा करीब 45 या फिर 47 भांग की दुकानों को लाइसेंस जारी किया गया है। यदि इसके अलावा 13 दुकानें और संचालित हो रही है तो वह गैर लाइसेंसी ही होगी। मामले की तत्काल जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी। राजेश त्रिपाठी-जिला आबकारी अधिकारी