प्रयागराज(डीएनएन)।आदर्श चिकित्सा वह है जो रोगों को ठीक तो करे परन्तु अपने दुष्प्रभावों से कोई नया रोग उत्पन्न न करे।इस दृष्टिकोण से आयुर्वेद एक आदर्श चिकित्सा है। यह विचार आज लाल बहादुर शास्त्री राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय प्रयागराज के नव प्रवेशित बीएएमएस छात्रों के पन्द्रह दिवसीय दीक्षा कार्यक्रम के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि प्रो(डॉ) जी एस तोमर ने रखे।अपने उद्बोधन में डॉ तोमर ने कहा कि कोरोना कालखण्ड में मिले उत्साह जनक परिणामों से आयुर्वेद आज भारत की चार दीवारी से निकलकर वैश्विक क्षितिज पर स्थापित हो रहा है।अपने समग्र दृष्टिकोण (होलिस्टिक एप्रोच) के कारण इसकी लोकप्रियता में निरन्तर वृद्धि हो रही है।यही एक ऐसी विधा है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के चतुर्मुखी उद्देश्य की पूर्ति कर सकती है।वस्तुतः आयुर्वेद मात्र एक चिकित्सा पद्धति न होकर एक समग्र जीवन दर्शन है।इसमें वर्णित औषधियाँ ही नहीं इसकी आदर्श जीवनशैली भी आज विश्व के आकर्षण का केन्द्र बन गई है।नव प्रवेशित छात्रों का अभिनन्दन करते हुए डॉ तोमर ने उन्हें उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभ कामनाएँ दीं।तथा उन्हें चिकित्सा जैसे पुनीत कार्य का अर्थ समझाते हुए पीड़ित मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया।कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ वी के सिंह ने की,अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सिंह ने परिसर में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी छात्रों को दी तथा उनकी अध्ययन सम्बन्धी हर समस्या का समाधान करने का विश्वास दिलाया।उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्प है।इस अवसर पर प्रो के डी पाण्डेय ने बनौषधियों को आयुर्वेद चिकित्सा का आधार बताते हुए इसे भविष्य की चिकित्सा का सशक्त स्रोत बताया।विशिष्ट अतिथि अशोक कुमार मिश्र ने आयुर्वेद को निरापद चिकित्सा बताते हुए इसके महत्व की चर्चा की,उन्होंने आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए यशस्वी प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के प्रयासों की प्रशंसा की।डॉ शशांक द्विवेदी ने विद्यार्थी जीवन में परिश्रम़,लगन एवं अनुशासन पर विस्तार से चर्चा की।डॉ हजारी लाल ने भी नव प्रवेशित छात्रों को बधाई दी।प्रो० ऊषा द्विवेदी ने पन्द्रह दिवसीय दीक्षा कार्यक्रम की विषय वस्तु की विस्तृत जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन डॉ शैलेंद्र सिंह ने एवं आभार ज्ञापन प्रो० सामू प्रसाद पाल ने किया।