लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) के ज्योतिर्विज्ञान विभाग (Astrology Science Department) में दीक्षांत सप्ताह के तहत शनिवार को विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय की देखरेख में ‘आधुनिक समय में ज्योतिषशास्त्र की वैज्ञानिकता तथा प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान किया गया। व्याख्यान का शुभारम्भ मंगलाचरण व दीप प्रज्जवलन से किया गया। इसके बाद ज्योतिर्विज्ञान के संयोजक डॉ. सत्यकेतु द्वारा विद्वान वक्ता डॉ. विनोद कुमार मिश्र प्राचार्य श्रीशिवशंकर संस्कृत महाविद्यालय का परिचय एवं व्याख्यान कर स्वागत किया।
भारतीय ज्योतिष के महत्व को बताया
इस दौरान व्याख्यान में प्रकट किये गए विचार में कहा गया, आधुनिक विज्ञान की उपलब्धियों सिद्धांतों एवं व्यवहारों का प्राचीन वैदिक साहित्य से लेकर ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न ग्रंथों में किस प्रकार अभिनिवेश है? इन तथ्यों को सरल भाषा में उदाहरण सहित ग्रंथों के संदर्भों को रखते हुए प्रस्तुत किया गया है। यह व्याख्यान प्राचार्य डॉ. विनोद कुमार मिश्र ने मुख्य वक्ता के रूप में दिया। उन्होंने आगे कहा कि ऐतरेय ब्राह्मण का ऋषि कहता है कि न कभी सूर्य अस्त होता है और न कभी सूर्य उदय होता है। यह पृथ्वी की गति के कारण ऐसा प्रतीत होता है। न केवल पृथ्वी की गति अपितु सूर्य की गति भी के विषय में ऋग्वैदिक ऋषियों को भरपूर ज्ञान था। ज्योतिष की महत्ता को बताते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार से खगोलीय पिंड हमारे जीवन पर प्रभाव डालने में समर्थ हैं। विद्वान मुख्य वक्ता ने अनेकानेक संदर्भ ग्रंथों के माध्यम से भारतीय ज्योतिष की वैज्ञानिकता के महत्त्व को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में रहे मौजूद
लखनऊ विश्वविद्यालय के सप्त दिवसीय दीक्षांत महोत्सव के उपलक्ष्य में ज्योतिर्विज्ञान विभाग में आयोजित विशिष्ट व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रतिकुलपति एवं कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. अरविन्द अवस्थी ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनिल कुमार पोरवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वर्षा दीपक द्वारा किया गया। संस्कृत एवं ज्योतिर्विज्ञान विभाग के अन्य अध्यापक डॉ. अभिमन्यु सिंह, डॉ. अशोक शतपथी, डॉ. विष्णुकांत शुक्ल, डॉ. अनुज कुमार शुक्ल तथा 60 से अधिक छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।