- 5 वर्षो तक गाजीपुर जेल में ऐशो-आराम की जिंदगी बिताया मुख्तार अंसारी
- जेल में पोखरा खुदवाकर मछली पाला, टीले पर बैठकर लगाता था दरबार
- रात में खुल जाता था जेल का फाटक, बेधड़क आते जाते थे लोग
गाजीपुर। गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को क्या पता था कि जिस जेल को वह अपने फाटक वाले घर की हवेली समझता था वहीं जेल उसके मौत का कारण बन जायेगी। बात तब की है जब मुख्तार अंसारी गाजीपुर जेल में बंद था। जेल की बैरक नम्बर-10 मुख्तार के नाम से ही जानी जाती थी। इस बैरक को खूबसूरत पंडाल की तरह सजाकर मुख्तार यहां ऐश करता था। आगे-पीछे उसके गुर्गे मंडराते रहते थे। रोजाना बकरे की दावत होती थी और मुलाकात का तो पूछिये ही मत क्योकि जब जो चाहे बिना जेल अधिकारियों के परमीशन के ही जेल के अंदर दाखिल होकर ‘भाईजान’ से मिल सकता था। जेल में पूरा दरबार सजता था। वाकायदे भाईजान के दरबार में पंचायत होती थी। रंगदारी, वसूली से लेकर विभागों के टेंडरों को लेकर जेल के अंदर मीटिंग होती थी। आलम यह था कि पीडब्लूडी के टेंडर को लेकर विभाग के अधिकारी तक मुख्तार की सहमति लेने के लिए जेल में आते थे।
जेल में पोखरा खुदवाकर पालता था मछलियां
जेल के बैरक नम्बर-10 के पास ही मुख्तार अंसारी ने एक पोखरा खुदवाया था। जिसमे वह रोहू प्रजाति को मछलियों को पाला था। जेल प्रशासन से बिना परमीशन लिये ही इस पोखरे की खुदाई कराई गई थी। बताते चले कि पोखरे की खुदाई के दौरान ट्रेक्टरों व जेसीबी मशीनों को जेल के अंदर आने के लिए मुख्य गेट को पूरी तरह से खोल दिया गया था। पूरे पांच दिन में पोखरे की खुदाई हुई थी। बाद में जब जेलर एके अवस्थी की पोस्टिंग यहां हुई तो उन्होंने मुख्तार अंसारी से भिड़कर पोखरे को पटवा दिया था। चर्चा के मुताबिक पोखरे की मछलियों की मार्केट में काफी डिमांड थी। यहां की मछलियों की सप्लाई मऊ जिले तक जाती थी। उन दिनों मुख्तार के रोहू की धूम मऊ और गाजीपुर के मछली मंडी में मची हुई थी।
जेल प्रशासन नहीं बल्कि गुुर्गे करते थे बैरक-10 की सुरक्षा
गाजीपुर जेल में रहने के दौरान मुख्तार अपनी सुरक्षा को लेकर काफी सर्तक रहता था। ऐसे में वह जेल प्रशासन की कोई मदद नहीं लेता था। वर्ष 2005 से लेकर 2010 तक मुख्तार अंसारी गाजीपुर जेल के बैरक नम्बर-10 में रहा। इस दौरान जेल के मेन गेट से लेकर बैरक तक आने वाले रास्ते पर उसने खुद के गुर्गो को सुरक्षा के लिए लगाया था। दिखावे के लिए जेल के एक-दो सिपाही बैरक के आसपास रहते थे। बैरक के अंदर भी उसी के गुर्गे रहते थे।
रात में खुलाता था जेल का फाटक
जिला जेल में जब तक मुख्तार अंसारी रहा तब तक पूरे जलवे के साथ रहा। मुख्तार के इशारे पर जेल का मेन गेट रात में खुला जाता था। उससे मिलने वाले लोग रात में भी जेल के अंदर आते थे। यहीं नहीं वह खुद रात के वक्त जेल से बाहर निकल जाता था और सुबह होते ही जेल में दोबारा दाखिल हो जाता था। कुल मिलाकर यह कह सकते है उस वक्त पूरा जेल प्रशासन मुख्तार अंसारी की मुठ्ठी में था।
बैरक-10 में धूमधाम से मनाई जाती थी ईंद और बकरीद
जब तक मुख्तार अंसारी जेल में रहा तब तक यहां बैरक नम्बर-10 में ईंद और बकरीद का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता था। तमाम बाहरी लोग ईंद में गले मिलने के लिए जेल में आते थे। इन लोगों के लिए जेल प्रशासन के परमीशन की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती थी। वीआईपी लोग तो लग्जरी वाहनों के साथ ही जेल में दाखिल हो जाते थे।
अवैध असलहे भी जेल में रहते थे मौजूद
जेल सूत्रों के अनुसार यहां रहने के दौरान मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। कृष्णानंद राय हत्याकांड के बाद उसके तमाम गुर्गे भी जेल में बंद हो गये थे। ऐसे में सुरक्षा के लिए उसके गुर्गे जेल के अंदर भी अवैध असलहों से लैश रहते थे। हालांकि इस दौरान जेल में प्रशासनिक अधिकारियों का एक-दो बार छापा भी पड़ा, लेकिन सूचनातंत्र मजबूत होने के चलते एक भी अवैध असलहे पकड़े नहीं गये।
बैरक-10 के मौजूद टीले पर लगता था दरबार
जेल में जहां बैरक-10 है वहीं पास में ही एक नीम के पेड़ था जो एक विशाल टीले पर स्थित था। इसी टिले पर मुख्तार अंसारी की कुर्सी लगती थी और नीचे फरियादी खड़े होते थे। यही से वह अपना दरबार संचालित करता था। मऊ विधायक होने के कारण जिले के बाहर के लोग भी मुख्तार के दरबार में पहुंचे थे।
इनसेट
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अपने गुनाहों से बचने के लिए जिस जेल को मुख्तार अंसारी ने पूरे 18 वर्षो से अधिक समय तक सुरक्षित समझा वहीं जेल उसकी मौत का सबब बन गया। गाजीपुर जेल में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी लम्बे समय तक अपने आप को सुरक्षित महसूस करता रहा, लेकिन उसे क्या पता था कि शासन सत्ता बदलते ही उसका यह हाल हो जायेगा बांदा की जेल उसके लिए मौत का सबब बन जायेगी। हालांकि डाक्टरों के पैनल ने यह साबित कर दिया है कि हार्ट अटैक से मुख्तार अंसारी की मौत हुई है, लेकिन इस बात को उसके परिवार के लोग मामने को तैयार नहीं हो रहे है।