नयी दिल्ली। नेशनल लॉयर्स कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल ट्रांसपेरेंसी एंड रिफॉर्म्स (एनएलसी) ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया देते हुये कहा है कि यह प्रणाली उच्च न्यायपालिका में योग्यता आधारित नियुक्तियों का गला घोंटती है। एनएलसी के अध्यक्ष मैथ्यूज जे नेदुमपारा ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में न्यायिक सुधारों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज की न्यायपालिका ‘सुप्रीम विधायिका, ‘सुप्रीम कार्यपालिका’ और सुप्रीम न्यायपालिका’ बन गयी है, जिसकी कल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि जनहित याचिका और कॉलेजियम प्रणाली का दुरुपयोग हुआ है, “ इससे न्यायपालिका का दखल बढ़ा है और हमारे लोकतंत्र में शक्ति का संतुलन बिगड़ गया है। ” उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिये 99वें संविधान संशोधन का भी जिक्र किया, जिसे पारदर्शी न्यायिक नियुक्ति प्रणाली लाने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने उसे रद्द कर दिया। एनएलसी के उपाध्यक्ष डॉ. चित्तूर राजमन्नार ने कहा, “ कॉलेजियम प्रणाली ने ताकतवर और प्रभावशाली लोगों को न्यायपालिका में जगह दी है, जबकि योग्य उम्मीदवार, विशेषकर हाशिये पर खड़े तबके नजरअंदाज किये जाते हैं। यह प्रणाली बदलनी चाहिये ताकि न्यायिक प्रणाली में लोगों का विश्वास बहाल हो सके।