नयी दिल्ली... लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि संसद को एक डिजिटल प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है जिसमें सदन में होने वाली चर्चा, समितियों की बैठकों आदि को कहीं भी देख सकता है।
संसद इस डिजिटल प्लेटफार्म पर 1990 के बाद की संसदीय कार्यवाही को उपलब्ध कराएगी जिसमें किसी भी सांसद के किसी भी विषय पर संसद में दिये गये भाषण को एक क्लिक पर आसानी से सुना जा सकेगा। इसमें सुविधा यह है कि यदि भाषण आधे घंटे का है और सुनने वाला बीच के कुछ अंश सुनना चाहता है तो वह अपनी सुविधा के अनुसार अंश सुन सकेगा। इसके साथ ही विभिन्न भारतीय भाषाओं में भी इन चर्चाओं को सुना जा सकता है।
श्री बिरला ने 10वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र की दो दिन चली बैठक के बाद मंगलवार को यहां संसदीय सौंध में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसद तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आधुनिक बनाया जा रहा है और ऐसा डिजिटल प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है जिसमें संसद की कार्यवाही के साथ ही संसद से जुड़ी किसी भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की कार्यवाही को एक क्लिक में डिजिटल प्लेटफार्म पर देखा जा सकता है। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही ‘एक राष्ट्र एक डिजिटल प्लेटफॉर्म’ का सपना पूरा हो सकेगा।
उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि विधायी निकाय अपने राज्यों में विधानमंडलों में प्रक्रियाओं और अभिलेखों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जनप्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं। इससे विधानमंडलों की कार्यकुशलता और प्रभावशीलता को बेहतर बनाया जा सकेगा इसलिए राज्य विधानमंडलों को डिजिटलीकरण की गति को बढ़ाना चाहिए ताकि ‘एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म’ के सपने को साकार किया जा सके।
श्री बिरला ने कहा कि सम्मेलन के दौरान पीठासीन अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किये और कई राज्यों की विधानसभाओं द्वारा जो सफल नवाचारी कदम उठाए जा रहे हैं उनको सभी अपने यहां भी लागू करने का प्रयास करेंगे। उनका कहना था कि इस प्लेटफार्म पर कहीं से भी किसी भी सदन की किसी भी कार्यवाही को देख जा सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने विधानमंडलों में हंगामा और कटुता पर चिंता जताई और कहा कि इस मुद्दे पर समय-समय पर पीठासीन अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है और पीठासीन अधिकारियों से सदन की कार्यवाही का संचालन गरिमा और शिष्टाचार के साथ तथा भारतीय मूल्यों और मानकों के अनुसार करने का आग्रह किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सदन की परम्पराओं और प्रणालियों का स्वरूप भारतीय हो तथा नीतियां और कानून भारतीयता की भावना को मजबूत करें ताकि ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का लक्ष्य प्राप्त हो सके। श्री बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सदन में सभी की भागीदारी हो और सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों पर शालीनतापूर्वक चर्चा हो।