हलिया मिर्ज़ापुर। विकास खण्ड हलिया की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह खस्ता हाल है इसलिए क्षेत्र की जनता को प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना मजबूरी बन जाता है । विकास खण्ड हलिया का क्षेत्र बड़ा है।इस समय प्रशासन के निर्देश पर प्राइवेट हॉस्पिटल की जांच की प्रक्रिया चल रही है। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी डॉ अरुण कुमार,डॉक्टर अवधेश प्रसाद मध्य प्रदेश -उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित ग्राम सभा भैसोड़ बालाय पहाड़ पर स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल काशी हॉस्पिटल की जांच करने गए थे। वहां पर रोगी एडमिट थे। स्वास्थ्य विभाग के लोगों के पहुंचने के कारण वहां हड़कंप मच गया। अन्य रोगियों के साथ एक गंभीर रूप से प्रसव की पीड़ा से ग्रस्त महिला भी भर्ती थी। जनसूत्रों के अनुसार लेनदेन का मामला बताया जा रहा था उसी में हड़कंप बाजी में अस्पताल के संचालक और कर्मचारी गायब हो गए। समस्या रोगियों की आई जिसमें सबसे गंभीर स्थिति प्रसव पीड़ित महिला की थी।जांच करने आए लोगों से वार्तालाप हुआ। उन सबों ने एक सुर में कहा हम मरीज लेकर कहां जाएं। आए हुए लोगों ने सलाह दिया इलाज के लिए बरौधा ले चलो। ज्ञात हो कि भैंसोड़ बालाय पहाड़ से बरौधा की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है। वहां से सबसे करीब ड्रमंडगंज का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां पर डॉक्टर कभी कभार बैठते हैं और अल्ट्रासाउंड एवं अन्य जांच सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि यह क्षेत्र एक्सीडेंटल जोन है। आए दिन दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं।ड्रमंडगंज के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की सेवा 2:00 बजे दोपहर के बाद समाप्त हो जाती है जबकि आसपास के लगभग 20 से 25 किलोमीटर दूर के मरीजों का एकमात्र वही सहारा है। क्षेत्र के नागरिकों ने कई बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के
उच्ची करण की मांग की लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।अब जनता की मजबूरी होती है प्राइवेट अस्पतालों के शरण लेने की। उस जगह पर यही हुआ इस हंगामे बाजी में प्रसव पीड़िता की हालत गंभीर हो गई।अंत में परिजनों ने प्रयागराज जनपद के कोरांव में प्राइवेट अस्पताल में ही एडमिट कराया। संयोग यही रहा कि ऑपरेशन द्वारा बच्चे का जन्म हुआ और दोनों सही सलामत रहे। क्षेत्र की जनता इस कारण से बेहद आक्रोशित है। अगर स्वास्थ्य विभाग के सुविधाओं का खस्ता हाल नहीं होता, व्यवस्थित व्यवस्था होती तो आम जनता प्राइवेट हॉस्पिटल क्यों जाती।