- पुलिस ने कई बार डाली दबिश, वर्षो से पुजारी सिंह ने गांव में नहीं रखा है कदम
- परिजनों के सहयोग से बना पीएसी का जवान, काली करतूतों से हो गया बर्खास्त
- वाराणसी, मऊ और प्रयागराज में पुजारी सिंह गैंग के सदस्य अभी है सक्रिय
गाजीपुर । पीएसी से बर्खास्त हुए सिपाही लक्ष्मीकांत सिंह उर्फ राणा उर्फ पुजारी का कारस्तानी से पूरा करंडा क्षेत्र वाकिफ है। इसने अपने पैतृक गांव परमेठ थाना करंडा में भी जालसाजी के इतने गुल खिलाये है कि इसका नाम लेते ही लोगों के कान खड़े हो जाते है। शरीफजादे खानदान के इस बिगड़े नबाब का पिछले 7-8 वर्षो से अपने खून के रिश्तों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। छोटा भाई भोला सिंह सिर्फ नाम से ही भोला नहीं बल्कि स्वाभाव से भी काफी भोला है। बुढ़ापे की लाठी का सहारा बनने के बजाय पुजारी सिंह ने ऐसे-ऐसे फोरजरी से जुड़े कारामात कर दिये है कि मां-बाप को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। खानदान का कोई व्यक्ति पुजारी सिंह से कोई ताल्लुकात नहीं रखना चाहता है। कुल मिलाकर पूरे खानदान से एक प्रकार से पुजारी सिंह को कट-आउट कर दिया है। गांव के उसके दोस्त मित्र भी उसका नाम लेने के गुरेज करते है। फोरजरी के माध्यम से लाखों-करोड़ों कमाने वाले पुजारी सिंह की खुद के पैतृक गांव के ‘चवन्नी’ की इज्जत नहीं है। करीब आठ वर्ष पूर्व एक बार गांव में आया था फिर उसके बाद दोबारा यहां दिखाई नहीं दिया। सूत्रों के अनुसार पैतृक गांव की प्रापर्टी में उसे लगभग बेदखल ही कर दिया गया है। उसकी तलाश में कई बार प्रयागराज समेत मऊ, बलिया और अन्य कई जिलों की पुलिस उसके गांव में आ चुकी है, लेकिन यहा से कोई वास्ता न होने के चलते पुलिस बैरंग लौट गई। फिलहाल पुजारी सिंह गोरखपुर जिले की जेल में अपने तीन साथियों के साथ गैंगस्टर के मामले में बंद है। 11 फरवरी को ही मजूदरों को बंधक बनाकर उनसे लाखों रुपये लूटे जाने के मामले में गोरखपुर पुलिस ने वहां के जिलाधिकारी के अनुमोदन से लक्ष्मीकांत उर्फ पुजारी सिंह समेत उसके साथियों का नाम लुटेरा गैंग में पंजीकृत कर दिया है। लक्ष्मीकांत सिंह पर कुल पांच मुकदमे अलग-अलग जिलों के थानों में दर्ज है।
कौन है लक्ष्मीकांत उर्फ पुजारी उर्फ राणा सिंह
मूल रुप से करंडा थाना क्षेत्र के परमेठ गांव निवासी लक्ष्मीकांत सिंह पीएसी का जवान था। वर्ष 2017 में एक गम्भीर आरोप में विभाग से उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी के दौरान वह मेरठ जिले में तैनात था। करंडा के मैनपुर में स्थित विवेकानंद इंटर कालेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने वाला पुजारी सिंह एक दिन कुख्यात ठग ‘नटवरलाल’ से भी बड़ा मास्टर माइंड बन जायेगा। गांव के सीधे साधे व्यक्ति जगदीश सिंह का बड़ा बेटा पुजारी सिंह पढ़ाई के दौर से ही काफी चलता पुर्जा था। पैसा कमाने की ललक उसके दिलो दिमाग में थी। बाबा सूर्यनाथ सिंह सीबीसीआईडी में दारोगा के पद पर थे, जिनकी गोरखपुर जिले में तैनाती के दौरान सड़क हादसे में मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद जगदीश सिंह ने बड़े भाई दीनानाथ सिंह ने पुलिस विभाग में नौकरी मिली और उन्होंने भी गोरखपुर में इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी की थी। परिवारजनों के सहयोग व सहारे से पुजारी उर्फ लक्ष्मीकांत सिंह को पीएसी में नौकरी मिल गई, लेकिन अपनी गलत कारस्तानियों के चलते वर्ष 2017 में उसे बर्खास्त कर दिया गया।
कासिमाबाद क्षेत्र के मुबारकपुर गांव में हुई है पुजारी सिंह की शादी
परमेठ गांव से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पुजारी सिंह की शादी कासिमाबाद थाना क्षेत्र के मुबारकपुर गांव में हुई है। सूत्र बताते है कि शादी के कुछ ही वर्षो बाद पुजारी सिंह की कारस्तानियों के बारे में ससुरालजनों को भी पता चल गया था। पुजारी सिंह की दो संताने भी है। ससुराल में भी उसका नाममात्र ही आना जाना है। क्योकि वहां तक भी इसकी कारस्तानियों की कहानी लोगों की जुबानी है। वर्तमान में उसकी पत्नी और बच्चे कहा रह रहे है इस बारे में किसी को कोई भी जानकारी नहीं है।
रेलवे विभाग में नौकरी के नाम पर दर्जनों लोगों को दिया झांसा
सूत्रों के मुताबिक फोरजरी के दलदल में फंसने के बाद शुरुआती दौर में लक्ष्मी उर्फ पुजारी सिंह ने अपने करीबी रिश्तेदारों व जान पहचान के लोगों को बताया कि उसकी रेलवे के अधिकारियों में गहरी घुसपैठ है। इसलिए वह पैसा लेकर जिसे चाहेगा उसे ग्रेड-3 व 4 में नौकरी दिला सकता है। यह अफवाह उड़ाकर उसने अपने कई करीबियों से लाखों रुपये ऐंढ़ दिये थे।
वाराणसी, प्रयागराज व मऊ जिले में बनाया पैठ
महाठग के नाम से मशहूर ‘नटवरलाल’ से भी दो कदम आगे चलने की होड़ में जुटे लक्ष्मी उर्फ पुजारी सिंह ने वाराणसी समेत मऊ और प्रयागराज में अपनी जड़े मजबूत की। समान्य से कुछ अधिक कद-काठी के साथ अच्छी सूरत का लाभ उठाकर पुजारी सिंह ने नौकरी का झांसा देकर यहां भी कई लोगों को अपनी जाल में फंसाया और पुलिस की पकड़ से बचने के लिए इसने समय-समय पर अपना ठिकाना भी बदलना शुरु कर दिया।
प्रयागराज और मऊ जिले में है अचल सम्पत्ति
सूत्रों के मुताबिक लक्ष्मी उर्फ पुजारी सिंह ने अपने फोरजरी के धंधे से जो अकूत काला धन कमाया उसने उस धन को लैंड-प्रापर्टी में झोंक दिया। सूत्रों के मुताबिक कई जिलों में पुजारी सिंह की बेनामी अचल सम्पत्ति मौजूद है। इसने अपने गैंग के विश्वसनीय लोगों के नाम से प्रापर्टी रजिस्टर्ड कराया है।
गैंग में एक दर्जन से अधिक सक्रिय सदस्य
लक्ष्मी उर्फ पुजारी सिंह की गैंग में करीब एक दर्जन से भी अधिक सक्रिय सदस्य है। गैंग के सदस्य क्लाइंट को अपनी जाल में फंसाते है फिर उन्हें नौकरी या फिर करोड़ों का कांट्रैक्ट दिलाने के नाम पर उनकों लक्ष्मी उर्फ पुजारी से मिलवाते है फिर शुरु हो जाता है लाखों करोड़ो के गोलमाल का खेल। लोगों के रुपयों को लेकर लक्ष्मीकांत चंपत हो जाता है और उसके सहयोगी फरार हो जाते है। फिर सभी मिलकर नये शिकार की तलाश में जुट जाते है।
कई मामलों का अभी तक नहीं हो पाया है खुलासा
यदि सही तरीके से पुलिस लक्ष्मीकांत उर्फ पुजारी सिंह की कुंडली को खंगाले तो कई और सनसनीखेज मामले सामने आ सकते है। फोरजरी से लेकर ऑनलाइन फ्रांड करने वाले कई लोग पुजारी सिंह की गैंग में शामिल है। वाराणसी और प्रयागराज मे ंतो वर्तमान में भी उसके गैंग के कई सदस्य खुलेआम लोगों को अपने झांसे में फंसा रहे है।
वर्जन
लक्ष्मीकांत उर्फ राणा सिंह समेत उसके गैंग के लोग यदि गोरखपुर जिले में पंजिकृत हुए है तो इसकी सूचना जिले के डीसीआरबी ऑफिस में आयेगी। सूचना प्राप्त होने के बाद इस बारे में सही जानकारी दी जायेगी। डा. ईरज राजा-पुलिस अधीक्षक