हलिया (मीरजापुर): सेंट्रल वैली सेकेंड्री स्कूल बबुरा रेचकारी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक रमेश जी महाराज ने कंस,चाणूर, और मुष्टिक के वध की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया। कथा के दौरान बताया कि द्वापर युग में हुई भविष्यवाणी भगवान श्री कृष्ण के अवतरण का कारण बनी थी।इस आकाशवाणी के अनुसार कंस की मृत्यु देवकी की आठवीं संतान से होनी थी।इसी वजह से कंस ने कृष्ण को मारने के लिए कई षड्यंत्र रचा और कृष्ण का वध करने के लिए एक से एक बलशाली राक्षसों को गोकुल भेजा करता था। संपूर्ण कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्री कृष्ण ने सभी राक्षसों का वध कर दिया करते थे।कंस को अपनी मृत्यु से भय था इसीलिए छल छद्म के साथ कंस ने एक उत्सव का आयोजन करके अक्रूर जी को गोकुल भेजकर आमंत्रित किया। और रास्ते में एक महाबली बलशाली हाथी को खड़ा करा दिया कि जब कृष्ण और बलराम आएं तो पागल हाथी उन्हें जान से मार दे। कृष्ण और बलराम अक्रूर जी के साथ मथुरा आए। रास्ते में बंधा पागल हाथी जो कि बहुत हिंसक था जैसे ही भगवान कृष्ण और बलराम द्वार पर पहुंचे तो देखा कि रास्ते में हाथी खड़ा है। कृष्ण और बलराम जैसे ही हाथी के पास पहुंचे कि हाथी कृष्ण को सूंड में लपेटना चाहा। कृष्ण ने हाथी का सूंड पकड़कर हवा में घुमाकर जमीन पर पटक दिया जिससे हाथी का प्राणांत हो गया। दुराचारी कंस को जब पता चला कि हाथी मारा गया तो उसने दूसरी चाल चलकर चाणूर और मुष्टिक को बुलाया। जिसमें दस हजार हाथी का बल था। दोनों ने भगवान कृष्ण और बलराम को मल्ल युद्ध के लिए ललकारा। देखते ही देखते कृष्ण और चाणूर का मल्ल युद्ध शुरू हो गया। भगवान कृष्ण ने चाणूर को दोनों हाथों से हवा में घुमाकर जमीन पर पटक दिया जिससे उसके भी प्राण पखेरू उड़ गए। बलराम ने मुष्टिक को जोरदार मुक्का मारा जिससे मुंह से खून निकलने लगा और उसकी मृत्यु हो गई।यह सब देखकर कंस बहुत क्रोधित हो गया और अपनी सेना के साथ धावा बोलकर कृष्ण और बलराम से लड़ने लगा।इसी बीच भगवान कृष्ण कंस के पास पहुंचकर कंस के केश को पकड़कर जमीन पर पटक दिया और कंस की छाती पर मुष्टिका से ऐसा प्रहार किया कि कंस की मृत्यु हो गई। अपने नाना उग्रसेन को जेलखाने से बाहर निकालकर उन्हें सिंहासन पर बैठाया।इसी प्रकार भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए श्रोताओं को भाव विभोर किया। भागवत कथा के आयोजक अखिलेश चंद पाण्डेय ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन लोक कल्याण की भावना से किया जा रहा है।जिसके उपलक्ष में पांच जून को हवन भंडारा और प्रसाद का आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर अतरैलाराजा के पूर्व प्रधान डा• दया शंकर त्रिपाठी कमलेश चंद पाण्डेय कृष्ण गोपाल मौर्या आयुष चंद पाण्डेय समेत समूचा पंडाल श्रोताओं से भरा हुआ था।